म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट प्लानिंग स्कीम चुनते समय इन चीजों का रखें ध्यान, फायदे में रहेंगे

नई दिल्ली (एजेंसी). म्यूचुअल फंड : रिटायरमेंट के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद अहम वित्तीय फैसला होता है. इसलिए इसके लिए काफी सोच-समझ कर कदम उठाने की जरूरत होती है. अगर म्यूचुअल फंड के रिटायरमेंट प्लान का चुनाव करना हो तो ऐसा प्लान चुनना चाहिए जो रिटायरमेंट के बाद आपका निवेश तो सुरक्षित रखे ही साथ ही इसका रिटर्न महंगाई को भी मात दे. 60 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट प्लानिंग स्कीम में निवेश कर सकता है. इसमें पांच साल या रिटायरमेंट की उम्र या इनमें से जो भी पहले आ जाए तक, अनिवार्य लॉक-इन पीरियड होता है.

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म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट प्लानिंग स्कीम में निवेश के लिए केवाईसी अनिवार्य है. आजकल वीडियो केवाईसी की भी सुविधा है. आप इसके लिए संबंधित डॉक्यूमेंट फंड हाउस के दफ्तर या प्लान बेचने वाले बैंक में जमा कर सकते हैं. अगर निवेशक ने फंड हाउस के दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो दोबारा केवाईसी की जरूरत नहीं है. इस स्कीम के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड में निवेश ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है.

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आम एकमुश्त या एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट प्लानिंग स्कीम में निवेश कर सकते हैं. एसआईपी में निवेशक को हर महीने अपने अकाउंट से एक निश्चित रकम काट कर इसमें जमा करने का मैंडेट बैंक को देना होता है. अकाउंट से यह पैसा इस स्कीम में जमा होता रहता है. निवेशक अपने जोखिम और रिटर्न प्रोफाइल के हिसाब से रिटायरमेंट प्लानिंग स्कीम में फंड एलोकेशन का चुनाव कर सकता है. वह इक्विटी या फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वाले फंड का चुनाव कर सकता है. नोटिफाइड रिटायरमेंट फंड में आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.

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