मांस खाने वाले और शराब पीने वाले नहीं बन सकते पुजारी, सरकार ने तय किए नियुक्ति के मानक

ग्वालियर (एजेंसी)। मध्य प्रदेश में अब कोई मांस खाने वाला या शराब पीने वाला व्यक्ति को सरकारी मंदिर में पुजारी का पद नहीं मिल सकता। इसके अलावा आठवीं कक्षा पास होने के साथ ही पुजारी को पूजा विधि की प्रमाण-पत्र परीक्षा भी पास करनी होगी। ऐसा इसलिए हो सकेगा क्योंकि प्रदेश सरकार ने मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के लिए मापदंड तय कर दिए हैं।

पुजारी के लिए बने ये नए मापदंड
– राज्य सरकार के अध्यात्म विभाग ने पुजारियों की नियुक्ति, योग्यता, नियुक्ति की प्रक्रिया, उनके कर्तव्य, दायित्व, पद से हटाने और पद खाली होने पर व्यवस्था के संबंध में नियम बना लिए हैं।

– पुजारी पद के लिए अनिवार्य नियम के तहत वही व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं जिनकी उम्र 18 साल है और उन्होंने कम से कम आठवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा ग्रहण की हो।

– पुजारी के पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी, जो शुद्ध शाकाहारी हो, शराबी नहीं पीता हो और आपराधिक चरित्र का नहीं हो।

– उसने पूजा विधि की प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण की हो और उसे पूजा के विधि विधान का ज्ञान हो।

– देवस्थान की जमीन पर अतिक्रमण या देवस्थान की अन्य संपत्ति को खुर्दबुर्द करने का दोषी नहीं हो।

– पिता पुजारी होने की स्थिति में पुत्र और उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी योग्यता पूरी करने पर वरीयता दी जाएगी।

– मठ में संप्रदाय विशेष या अखाड़ा विशेष के पुजारी की परंपरा रहेगी।

पूर्व की भाजपा सरकार ने मंदिरों में पुजारियों के पद के लिए सभी वर्गों के लोगों को भर्ती करने की पेशकश की थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसकी बजाय वंश परंपरा के आधार पर पुजारी बनाने का निर्णय किया है। कांग्रेस के वचन-पत्र में भी मठ-मंदिर का नामांतरण गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार करने और पुजारियों की वंश परंपरा के अनुसार नियुक्ति का वादा किया गया था।

किसी देवस्थान में पुजारी का पद खाली होने की स्थिति में संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र जमा करना होगा। आवेदन-पत्र के साथ शपथ-पत्र पर अंडरटेकिंग भी देनी होगी। अनुविभागीय अधिकारी पंद्रह दिन में पुजारी के नाम की सार्वजनिक सूचना जारी करके आपत्तियां आमंत्रित करेंगे। आपत्ति न आने पर पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार से प्रतिवेदन लेकर पुजारी की नियुक्ति की जाएगी।

स्वस्थ चित्त न रहने पर, देवस्थान की चल-अचल संपत्ति में हित का दावा करने पर, चारित्रिक दोष पैदा होने पर, देवस्थान की सेवा, पूजा एवं संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर, शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर पुजारी को पद से हटाया जा सकता है।

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