कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट में एक अजीबो गरीब मामला देखने को मिला. यहां अपने पसंद के मुताबिक फैसला नहीं मिलने पर वकील ने जज को अभिशाप दे दिया. उसने जज के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की कामना की. जिसके बाद जज ने वकील के खिलाफ अवमानना का केस चलाए जाने की सिफारिश की.
कोरोना वायरस के कारण कलकत्ता हाईकोर्ट में 15 मार्च से सिर्फ अहम मामलों की ही सुनवाई हो रही है. 25 मार्च से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से जरूरी केस का निबटारा किया जा रहा है. अति आवश्यक मामले को बताते हुए वकील बिजॉय अधिकारी ने जस्टिस दत्ता की कोर्ट का रुख किया था. वकील ने अपने मुवक्किल की बस की नीलामी पर रोक लगाए जाने की मांग की. बैंक लोन की अदायगी में विफल रहने पर बस की नीलामी करने जा रहा था. वकील की दलील थी कि 15 जनवरी को बस जब्त कर लिया गया है. उन्होंने बैंक की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की मगर कोर्ट ने केस की फौरन सुनवाई करने से इंकार कर दिया. जिससे नाराज वकील ने जज को कोरोना से संक्रमित होने का अभिशाप दिया.
जज ने लिखा कि अधिकारी को मना करने के बावजूद कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता नहीं है और ना ही उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खौफ. मगर इसके बावजूद उन्होंने अदालती कार्यवाही में बाधा डालने की कोशिश की. कई बार वकील के व्यवहार पर उन्होंने लताड भी लगाई. मगर उन्होंने चेतावनी को नजर अंदाज कर दिया. लिहाजा वकील को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया. साथ ही ये भी आदेश दिया कि नोटिस के मिलने के एक पखवाड़े के अंदर जवाब तलब किया जाए. जस्टिस दत्ता ने कहा कि कोर्ट खुलने के बाद अवमानना मामले की डिविजन बेंच सुनवाई करे.