भैरव अष्टमी आज, बूढेश्वर मंदिर में होगी विशेष पूजा अर्चना

कैसे करें भैरवनाथ की पूजा, किस प्रकार रखें उपवास

रायपुर (अविरल समाचार). हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस बार आज यानी 19 नवंबर, मंगलवार को काल भैरव अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बूढेश्वर मंदिर में प्रभु भैरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जायेगी. दोपहर 12 बजे से पूजन का कार्यक्रम चालू होगा जो देर रात होने वाले भंडारे के साथ समाप्त होगा.

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प्राप्त जाकारी के अनुसार दोपहर 12 बजे अभिषेक के साथ पूजा अर्चना की शुरुआत होगी उसके पश्चात श्रृंगार, हवन, भजन, महाआरती के बाद भंडारे का आयजन किया गया हैं. यहाँ भैरवनाथ के भक्त बड़ी संख्या में शामिल होंगे और पूजन कर लाभ अर्जित करेंगे. उल्लेखनीय हैं की बुढापारा के बूढेश्वर मंदिर में स्थपित परभू भैरवनाथ की प्रति रविवार और चांदनी चौदस को विशेष पूजा और आरती होती हैं.

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आइए जानते हैं आखिर किस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

काल भैरव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त

काल भैरव अष्टमी की शुरुआत 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगी।
काल भैरव अष्टमी का समापन 20 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 41 मिनट पर होगा।

काल-भैरव व्रत करने की विधि :-

1. काल-भैरव का उपवास करने वाले भक्तों को सुबह नहा-धोकर सबसे पहले अपने पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
2. इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को पूरे दिन उपवास रखकर रात के समय भगवान के सामने धूप, दीप, काले तिल,उड़द, सरसों के तेल के दीपक के साथ भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए।
3. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए।
4. इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
5- माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे मन से काल भैरव भगवान की पूजा करता है तो उस पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।

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कैस करें भगवान भैरव की पूजा

 भैरव जी की पूजा संध्याकाल में करें.
 इनके सामने एक बड़े से दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
 इसके बाद उरद की बनी हुई या दूध की बनी हुयी वस्तुएं उन्हें प्रसाद के रूप में अर्पित करें.
 विशेष कृपा के लिए इन्हें शरबत या सिरका भी अर्पित करें.
 तामसिक पूजा करने पर भैरव देव को मदिरा भी अर्पित की जाती है.
 प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मन्त्रों का जाप करें.

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भगवान भैरव के पूजा की सावधानियां

 गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए.
 सामान्यतः बटुक भैरव की ही पूजा करें, यह सौम्य पूजा है.
 काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें.
 साथ ही काल भैरव की पूजा बिना किसी योग्य गुरु के संरक्षण के न करें.

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भगवान भैरव के विशेष मंत्र जिनका जप करना लाभदायक होगा.
भैरव मंत्र

-“ॐ भैरवाय नमः”
-“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ”
– “ॐ भं भैरवाय अनिष्टनिवारणाय स्वाहा”
(लेख में प्रकाशित किसी भी पूजन और मंत्र का जाप करने के पहले योग्य गुरु से परामर्श अवश्य लें और उनके मार्गदर्शन में ही इसका प्रयोग करें.)

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