भारत की जीडीपी 7.5% पर रहेगी बरकरार – वर्ल्ड बैंक

नई दिल्ली (एजेंसी)। वर्ल्‍ड बैंक अब भी इस बात पर कायम है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी पर बरकरार रहेगा। वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक आने वाले दो साल तक जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी के आंकड़े पर ही रहने का अनुमान है। दरअसल, वर्ल्‍ड बैंक की ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स’ की रिपोर्ट पेश की गई है। इस रिपोर्ट में भारत समेत दुनियाभर के देशों की इकोनॉमी को लेकर अनुमान जाहिर किए गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्‍थायी सरकार की वजह से निवेश में मजबूती आएगी। इसके अलावा मांग बेहतर होने और निर्यात में सुधार की वजह से जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहेगा। इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे मुद्रास्फीति होने का फायदा भी मिलेगा। वहीं वर्ल्‍ड बैंक ने पाकिस्‍तान के जीडीपी को लेकर पूर्वानुमान में 0.2 फीसदी की कटौती की है। हालांकि साल 2020 में पाकिस्‍तान के जीडीपी का स्‍तर 7 फीसदी के जादुई आंकड़े को टच कर सकता है। साल 2021 में यह आंकड़ा 7.1 फीसदी तक रहने का अनुमान है।

वर्ल्‍ड बैंक की रिपोर्ट में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “बीते फरवरी महीने में पुलवामा आतंकी हमले और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा किए गए जवाबी हवाई हमलों की वजह से दो प्रमुख एशियाई देशों में तनाव बढ़ गया था। अगर यह स्थिति दोबारा बनती है तो आर्थिक मोर्चे पर अनिश्चितता बढ़ सकती है।” रिपोर्ट के मुताबिक माल और सेवा कर (GST) अभी भी पूरी तरह से स्थापित होने की प्रक्रिया में है, जिससे सरकारी राजस्व के अनुमानों के बारे में कुछ अनिश्चितता पैदा हो रही है।

इसके अलावा अफगानिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में चुनावों के बीच राजनीतिक अशांति का असर जीडीपी ग्रोथ पर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में आने वाले दिनों में चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा, हाल ही में सुरक्षा संबंधी घटनाओं की वजह से निवेशकों की धारणाएं भी कम हो सकती हैं। बता दें कि हाल ही में श्रीलंका में आतंकी हमला हुआ था। इस आतंकी हमले में 250 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई।

विश्व बैंक का कहना है कि ब्रेक्जिट प्रक्रिया की वजह से भी उन दक्षिण एशियाई देशों की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है जिनके ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते हैं। ब्रेक्जिट का असर जिन देशों पर पड़ने का अनुमान है उनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

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