नई दिल्ली (एजेंसी). सीएए कानून लागू होने के बाद जहां देश में एक बड़ा तबका विरोध प्रदर्शन में लगा हुआ है वहीं हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी रंगराजन सीएए के तहत देवी देवताओं को नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं. पुजारी जी का दावा है कि भारत में ईश्वर की हालत परसिक्यूटेड माइनॉरिटी से भी बुरी है, इसलिए जरूरत है कि देश में ईश्वर को नागरिकता दी जाए.
देश भर में राज्य सरकारों का मंदिरों से हो रहे बर्ताव को लेकर पुजारी बेहद आक्रोशित हैं और उनका कहना है की सुप्रीम कोर्ट जाकर अब वह इस मामले में कोर्ट से सीएए कानून के तहत तिरुपति बालाजी, पदनाम स्वामी और सबरीमाला को नागरिकता देने की मांग करेंगे.
हैदराबाद के बाहरी हिस्से में चिलकुर बालाजी का मंदिर है जहां दिनभर श्रद्धालुओं के जाने का सिलसिला रहता है. विदेशों में काम करने के इच्छुक युवाओं में मान्यता है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से पासपोर्ट जल्दी बन जाता है, यहां युवा बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. इसी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं रंगराजन जो तेलगु समाज में काफी जाना माना नाम है. रंगराजन का परिवार देश में हो रहे धार्मिक गतिविधियों वो चाहे सबरीमाला सुप्रीम कोर्ट का केस हो सब मे सक्रिय भागीदारी निभाता है.
ईश्वर को नागरिकता देने की मांग करने वाले रंगराजन का गुस्सा देश भर की सरकारों से है. रंगराजन का कहना है कि मंदिरों में रहने वाले भगवान कोई मूर्ति भर नहीं है बल्कि उन्हें महाराजा की तरह रखा जाता है. पूजा के दौरान सुबह सुप्रभात होता है और आखिर में शयन होता है. भगवान को महाराजा की तरह देखा जाता है देश में कानूनी प्रक्रिया के पुराने किस्सों को याद दिलाते हुए केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का भारत का हिस्सा बनने की कहानी का भी रंगराजन जिक्र करते हैं.
मंदिरों में सरकार के हस्तक्षेप को लेकर रंगराजन गुस्सा जाहिर किया और कहा कि जिस विधि से पूजा पाठ होना चाहिए सरकारों के चलते वैसा हो नहीं पा रहा है. इसीलिए भगवान को नागरिकता देने की जरूरत है. ताकि उनके भी अधिकार हो और उन अधिकारों की रक्षा की जा सके. तेलंगाना सरकार और आंध्र सरकार पर भगवान की जमीनों का अधिकार हनन का आरोप भी पुजारी ने लगाया. रंगराजन ने आरोप लगाते हुए कहा कि जो ज्यादती मंदिरो में चल रही वैसा मस्जिद और चर्च में नहीं है. ये अनुच्छेद 26 समान अधिकार के संग अन्याय है.
केमिकल इंजीनियर और वकालत की पढ़ाई किए हुए रंगराजन संविधान के अलग-अलग पहलुओं की चर्चा करते हुए हिन्दू मंदिर मूर्तियों को नागरिकता देने की मांग की है. उनका कहना है की 1955 की नागरिकता अधिनियम की धारा 5(4) के तहत सबरीमाला मंदिर और दूसरे हिन्दू देवी देवताओं को नागरिकता दी जाए.