हरिद्वार (एजेंसी)। ज्योतिष और शारदा द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महिलाओं को लेकर विवादित बयान दिया है। शंकराचार्य ने कहा कि लड़कियां अपने माता-पिता की संपत्ति पर अपना हक जताने के लिए उनका दाह संस्कार और पिंड करती हैं। लड़कियों के लिए ऐसे कर्मकांड हिंदू धर्म शास्त्रों के खिलाफ है।
शंकराचार्य ने कहा कि बेटियों की ओर से अपनाए जा रहे इस प्रवृति के कारण घरों में विवाद बढ़ रहा है। लड़कियों की इसी प्रवृति के कारण पहले की तरह उनका अब मायके में इज्जत सम्मान नहीं होता है और परिवारों में कटुता बढ़ी है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि पितरों को तृप्ति तब मिलती है जब उनका पुत्र या पौत्र अथवा पुत्री का बेटा उनका दाह संस्कार और तर्पण करता है। इस दौरान उन्होंने कहा कि जो बेटियां अपने माता पिता का अंतिम संस्कार करती है उनके माता-पिता को तृप्ति नहीं मिलती है। उन्हें मोक्ष नहीं मिलता।
हिंदू धर्म ग्रंथों का हवाला देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि श्राद्ध के समय पितरों को तृप्ति पुत्र पौत्र या गोत्र के पिंडदान तर्पण करने से ही मिलती है। तर्पण करने के बाद पिंडदान कुशा के पात्र मे करना चाहिए।