नई दिल्ली (एजेंसी)। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि बहुत से देश अपनी इनवेंट्री में भारतीय मिसाइलें चाहते हैं। यह बात उन्होंने विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहीं। उन्होंने कहा, ‘भारत में बने रक्षा उत्पादों का निर्यात किया जा सकता है।’ रक्षामंत्री का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पारंपरिक तौर पर विदेशी हथियारों पर निर्भर हैं। हमारे पास मौजूद 50 फीसदी सैन्य हार्डवेयर विदेशी है। उन्होंने कहा, ‘आप एकीकृत मिसाइल कार्यक्रम के बारे में बात कीजिए जिसके परिणामस्वरूप बहुत सारे परिणाम मिले हैं। आज कई देशों को मिसाइल चाहिए। इसका एक बाजार मौजूद है।’
उन्होंने कहा कि बहुत से देश भारत के साथ किसी तरह जुड़ना चाहते हैं और वह भारत से हथियार खरीदना चाहते हैं। सीतारमण ने कहा, ‘भारत में विभिन्न उपकरणों का निर्यातक बनने की अपार संभावना है। मैं यह कहना चाहती हूं कि जहाज बनाने, युद्धपोत का निर्माण करने की क्षमता हमारे देश में मौजूद है जिसे बाहर लोग मानते हैं। बहुत से ऐसे देश हैं जो कह रहे हैं कि हमें यह क्षमता देकर हमारी मदद कीजिए।’
रक्षामंत्री ने एयरोस्पेस पीएसयू का उदाहरण दिया। उन्होंने एचएएल से भारत को रक्षा उत्पादों का निर्यातक बनाने के लिए सुझाव देने के लिए कहा। एचएएल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें (निर्यात बढ़ाने पर) बताती रहती हूं, आपको वायुसेना के समय पर भुगतान नहीं करने को लेकर शिकायतें हैं। लेकिन आपके समय पर सप्लाई न करने को लेकर भी विवाद है।’
उन्होंने बताया कि एचएएल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के बावजूद भारतीय सेना के ऑर्डर का उत्पादन समय पर करने में काफी समय लग रहा है।