दिवाली 2019 : जानिये कैसे रहेगी लक्ष्मी स्थिर
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे
रायपुर (अविरल समाचार). इस दीपावली (Dipawali 2019) के योग अत्यंत अद्भुत है| 27 तारीख को दोपहर 12.02 बजे तक चतुर्दशी है जो की स्नान सौन्दर्य के लिए उपयुक्त है लकिन चूँकि सायंकाल प्रदोष काल में अमावास्या है तो इसी दिन दिवाली (Diwali) मनायी जायेगी| प्रात: कालीन गोचर में तुला लग्न में सूर्य चन्द्र और शुक्र की युति अत्यंत शुभ और धनदायी है| रात्रि 10.09 बजे के पश्चात प्रीति, पद्म और छत्र योग है जो की ऐश्वर्य कारक और प्रगतिकारक हैं|
समुद्र मंथन का कारण भी बनी लक्ष्मी जी
सतयुग की कथा है कि दुर्वासा ऋषि को एक सुगन्धित हार मिला। उन्हें लगा कि यहाँ हार उन्हें मोह माया के बन्धन में बांध देगा तो उन्होने हार इन्द्र को दे दिया। इन्द्र ने हार की ओर विशेष ध्यान न देकर अपने हाथी के गले में डाल दिया। हाथी ने इस हार को पैर से कुचल दिया, जिसमें से ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गये। उन्होने इन्द्र को श्राप दे दिया। दुर्वासा के श्राप से इन्द्र श्री विहीन हो गये। इन्द्र ने ब्रह्मा जी से मुक्ति का उपाय पूछा तो ब्रह्मा जी ने समुद्र मंथन के द्वारा रत्नो और सुख सुविधा की सामग्रियों को प्राप्त करने के लिये असुरों के साथ स्मुद्र मंथन करने का मार्ग बताया। इसी समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी अवतरित हुई, जिसका वरण भगवान विष्णु ने कर स्वर्ग को श्रीयुक्त किया।
इस मंत्र से प्राप्त होंगी स्थिर लक्ष्मी :
दीपावली (Diwali 2019) या लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja) की रात इस मंत्र का महा निशाकाल में अर्थात रत्रि 10.52 अब्जे से 1.31 बजे के मध्य 43 मिनट जाप करें। इस के पश्चात प्रतिदिन यथासम्भव इस मंत्र का जाप करें। माँलक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी।
मंत्र :-
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे।
यथा त्वमेचला कृष्णे, तथा भव मयी स्थिरा॥
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्य गुच्चै: श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्र दारादि भि: सहो।।
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