नई दिल्ली (एजेंसी). पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने इकॉनमी ग्रोथ (Economy Growth) पर चिंता व्यक्त करते हुए ‘द हिंदू’ में भारतीय अर्थव्यवस्था में बेचैनी पर केंद्रित एक लेख लिखा है. अपने इस लेख में सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को चिंताजनक बताते हुए इसके कारण और उपाय पर चर्चा की है. मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार और संस्थाओं में नागरिकों के भरोसे की कमी की वजह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने साथ ही लिखा कि भारत की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक है.
मनमोहन सिंह ने लिखा, ‘अब कुछ बातें स्पष्ट हो चुकी हैं- जीडीपी वृद्धि दर 15 साल में सबसे निचले स्तर पर है, घरेलू उपभोग पिछले चार दशक में सबसे नीचे पहुंच गया है और बेरोज़गारी 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है. बैंकों के कर्ज़ डूबने के मामले सबसे ऊंचे स्तर पर हैं और बिजली उत्पादन 15 साल के सबसे निचले स्तर पर गिर गया है.’
मनमोहन सिंह ने लिखा है कि उनकी कई उद्योगपतियों से मुलाकात हुई. इन मुलाकातों में उद्योगपती बताते हैं कि वो सरकारी अधिकारियों के हाथ परेशान किए जाने के डर में जी रहे हैं. बैंक नए कर्ज़ नहीं देना चाहते, क्योंकि उन्हे कर्ज़ डूबने का ख़तरा लगता है. लोग नए उद्योग लगाने से डर रहे हैं कि कुछ लोगों की ख़राब नियत के चलते वो डूब सकते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ाने वाले लोगों को शक की नज़र से देखती है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का पॉलिसी फ्रेमवर्क कुछ इस तरह का है कि सभी उद्योगपति, बैंक अधिकारी, रेगुलेटर और नागरिक फ्रॉड हैं, धोखेबाज़ हैं.
विश्व के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों में शुमार सिंह ने कहा है कि रिटेल इंफलेशन के जो आंकडे सामने आए हैं उनसे इसी तरफ़ इशारा मिलता है. मनमोहन सिंह ने कहा है सरकार को तुरंत ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे मांग बढ़े.