निर्भया दोषी मुकेश ने लगाए जेल प्रशासन पर आरोप, ‘जेल में उसका यौन उत्पीड़न हुआ और भाई की हत्या’

नई दिल्ली (एजेंसी). निर्भया गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह का जेल में यौन उत्पीड़न हुआ था. मुकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील रख रही वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि मुकेश का जेल में यौन उत्पीड़न हुआ था. उस समय जेल अधिकारी वहां मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मदद नहीं की.

वकील अंजना प्रकाश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान कहा गया कि मुकेश को उस समय हॉस्पिटल नहीं ले जाया गया. बाद में उसे दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया. मुकेश की वकील ने आगे कहा वो मेडिकल रिपोर्ट कहां है? फिलहाल इस मामले में कोर्ट कल अपना फैसला सुना सकता है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मुकेश ने डेथ वारंट को निरस्त करने की मांग की है और इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है. इस बेंच में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

इसके साथ ही मुकेश की ओर से उनकी वकील ने कहा कि उसके भाई राम सिंह को मार दिया गया. जेल ऑफिसर कह रहे हैं कि उसने फांसी लगा ली थी, जबकि उसकी एक हाथ खराब था. वह एक हाथ से 94 फीसदी लाचार था. वो फांसी लगाकर खुदकुशी कैसे कर सकता है.

बता दें  कि राम सिंह पेशे से ड्राइवर था. जिस बस में निर्भया का गैंगरेप हुआ उस बस का ड्राइवर राम सिंह ही था. राम सिंह इस केस में मुख्य आरोपी था. उसने निर्भया के साथ गैंगरेप करने के अलावा उसके दोस्त को लोहे की रॉड से पीटा भी था. मामले में सजा सुनाए जाने से पहले राम सिंह ने कथित तौर पर जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

मुकेश ने कहा, ‘मैं इस बाबत एफआईआर दर्ज कराना चाहता था.’ मुकेश की वकील ने तिहाड़ जेल प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मुकेश को क्यूरेटिव याचिका खारिज होने से पहले ही एकांत कारावास में रख दिया गया था. सेल में उसे अकेला रखा जाता था.

मुकेश ने कोर्ट में पेश अपने हलफनामे में यह भी दावा किया कि उसने रेप नहीं किया था, हालांकि वह घटना के दौरान घटनास्थल पर मौजूद था.

सुनवाई के दौरान मुकेश की ओर से पेश वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि 14 जनवरी को दया याचिका दायर की गई और 17 जनवरी को फैसला आ गया. संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है. उसने कहा है कि राष्ट्रपति कोविंद ने उसकी दया याचिका का निपटारा करने में बेवजह जल्दी दिखाई. राष्ट्रपति के फैसले की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है.

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