नई दिल्ली (एजेंसी). नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है. पूर्वोत्तर में लोग सड़क पर उतर अपनी बात कह रहे हैं तो अब इस कानून को देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार दोपहर तक इस कानून के खिलाफ कुल 11 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. विपक्ष लगातार इस कानून को संविधान का उल्लंघन बता रहा है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन एक्ट संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, इसके साथ ही भारत के मूल विचारों के भी खिलाफ है. संसद में कांग्रेस ने तर्क दिया था कि सरकार इस कानून को लेकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाना चाह रही है.
अभी तक दायर हुई याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, महुआ मोइत्रा, पीस पार्टी, रिहाई मंच व सिटिजन अगेंस्ट हेट, जयराम रमेश, एहतेशम हाशमी, प्रद्योत देब बर्मन, जन अधिकारी पार्टी के महासचिव फैजउद्दीन, पूर्व उच्चायुक्त देब मुखर्जी, वकील एमएल शर्मा और सिम्बोसिस लॉ स्कूल के लॉ स्टूडेंट के द्वारा किए गए हैं.
कानून के जानकारों ने भी इस कानून पर सवाल खड़े किए हैं. जिसमें नीति आयोग के पूर्व सदस्य समेत पूर्व जस्टिस ने भी कहा है कि इस कानून को सुप्रीम कोर्ट की नजरों से गुजरना होगा. देश के पूर्व चीफ जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने इस बिल को लेकर कहा था कि जिस तरह धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों को सरकार स्वीकार रही है, वह बड़ा दिल दिखाना हुआ. लेकिन कानूनी नजरिए से इसपर बहस हो सकती है. इस बिल को सुप्रीम कोर्ट से होकर गुजरना होगा.