नई दिल्ली (एजेंसी). जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सैयद अशहद रशीदी ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. 217 पन्ने की याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने माना है कि वहां नमाज होती थी. फिर भी मुसलमानों को बाहर कर दिया. याचिका में कहा गया है 1949 में अवैध तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई थी, फिर भी रामलला को पूरी जगह दी गई.
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पुनर्विचार याचिका अयोध्या मामले में मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने दायर की है. इसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने पक्षकारों को राहत के मामले में संतुलन बनाने का प्रयास किया है, हिन्दू पक्षकारों की अवैधताओं को माफ किया गया है और मुस्लिम पक्षकारों को वैकल्पिक रूप में पांच एकड़ भूमि का आबंटन किया गया है जिसका अनुरोध किसी भी मुस्लिम पक्षकार ने नहीं किया था. पुनर्विचार याचिका में उन्होंने कहा है कि इस तथ्य पर गौर किया जाये कि याचिकाकर्ता ने संर्पूण फैसले को चुनौती नही दी है.
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वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े जफरयाब जिलानी ने कहा है कि 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा, “हम आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष समीक्षा याचिका (अयोध्या मामले में) दाखिल नहीं करने जा रहे हैं. हमने समीक्षा याचिका तैयार की है और हम इसे 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन कर सकते हैं.
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