छह दिन बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा चंद्रयान-2 : इसरो चेयरमैन

नई दिल्ली (एजेंसी)। चंद्रमा पर पहुंचने का भारत का सपना आहिस्ता-आहिस्ता साकार होते दिख रहा है। देश के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ ने बुधवार को पृथ्वी की कक्षा छोड़ दी और यह चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इसे चंद्रपथ पर डालने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान प्रक्रिया को अंजाम दिया। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि उसने भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के दो बजकर 21 मिनट पर अभियान प्रक्रिया ‘ट्रांस लूनर इंसर्शन’ (टीएलआई) को अंजाम दिया। इसके बाद चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक ‘लूनर ट्रांसफर ट्राजेक्टरी’ में प्रवेश कर गया।

चंद्रयान-2 के 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने और सात सितंबर को इसके चंद्र सतह पर उतरने की उम्मीद है। चंद्रयान 2 ने इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का लिक्विड इंजन 1,203 सेकंड के लिए फायर किया, जिससे 22 दिन तक धरती की कक्षा में चक्कर काटने के बाद अपनी लॉन्चिंग के 23वें दिन यह चांद की ओर निकल पड़ा।

इसरो के चेयरमैन ने के सिवन ने बताया कि चंद्रयान 2 चांद के रास्ते पर 6 दिन चलेगा और 4.1 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके इसी माह की तारीख 20 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा। चांद से धरती की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है। चंद्रयान 2 को चांद के रास्ते पर भेजने के लिए इसरो ने पहले धरती के इर्द-गिर्द उसकी कक्षा को बढ़ाया था जिसका आखिरी चरण 6 अगस्त को पूरा कर लिया गया था।

चांद के नजदीक पहुंचने पर चंद्रयान 2 की प्रणाली प्रॉपल्शन सिस्टम एक बार फिर फायर होगा, इससे उसकी गति कुछ धीमी पड़ जाएगी। इसके माध्यम से यह चांद की प्रारंभिक कक्षा में ही रुक जाएगा। इसके बाद चांद की सतह से करीब 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान 2 चक्कर काटेगा। इसी प्रॉपल्शन सिस्टम के जरिए धीरे—धीरे यान की कक्षा को कम किया जाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग होगा और चांद की कक्षा में दाखिल हो जाएगा। लैंडर के 6 सितंबर को 30 किमी की दूरी पर पहुंचने के साथ ही चांद की सतह पर उतरने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।

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