नई दिल्ली (एजेंसी). गुजरात (Gujrat) दंगे को लेकर गठित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट को आज विधासनभा के सामने रखा गया. राज्य के गृहमंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को क्लीन चिट दिया है. साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है. रिपोर्ट में श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं.
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गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा, नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा था कि किसी भी जानकारी के बिना वो गोधरा गए थे. इस आरोप को आयोग ने ख़ारिज कर दिया है. इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी. आरोप था कि गोधरा रेलवे स्टेशन पर ही सभी 59 कारसेवकों का शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था. इस पर आयोग का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश से नहीं बल्कि अधिकारियों के आदेश से पोस्टमार्टम किया गया था.
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संजीव भट्ट ने आरोप लगाया था कि हिन्दुओं को अपना गुस्सा निकालने दिया जाए, आयोग का कहना है कि इस मीटिंग में ऐसे कोई आदेश मुख्यमंत्री के जरिये नहीं दिए गए थे. सरकार ने किसी भी तरह के बंद का ऐलान नहीं किया था.
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आयोग ने 1,500 से अधिक पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि राज्य के किसी मंत्री ने इन हमलों के लिए उकसाया या भड़काया। इसमें कहा गया है कि कुछ जगहों पर भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस अप्रभावी रही क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी नहीं थे या वे हथियारों से अच्छी तरह लैस नहीं थे।
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आयोग ने अहमदाबाद शहर में सांप्रदायिक दंगों की कुछ घटनाओं पर कहा, ‘पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई जो आवश्यक था।’ नानावती आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच या कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
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उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) जी टी नानावती और गुजरात उच्च न्यायलाय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अक्षय मेहता ने 2002 दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट 2014 में राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी।
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