गांधी जयंती : आत्मनिर्भर रहने वाले को कोई झुका नहीं सकता : भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ने किया ‘बापू की करूणा का संचार-जेलों में सदाचार’ कार्यक्रम का शुभारंभ

रायपुर (अविरल समाचार). राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (mahatma gandhi) की 150वीं जयंती के अवसर पर केन्द्रीय जेल रायपुर में आयोजित ‘बापू की करूणा का संचार-जेलों में सदाचार‘ कार्यक्रम का शुभारंभ आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने किया। बघेल ने कहा कि गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी दिलाई। गांधी जी ने अछूत उद्धार, नारी शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। गांधी जी के मन में विरोधियों के प्रति भी आदर, सम्मान और प्रेम की भावना थी। गांधी जी कहते थे अपराध से घृणा करो-अपराधी से नहीं। बघेल ने बंदियों को गांधी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि बापू अपने समय का सदुपयोग करते थे व साफ-सफाई के साथ अपना काम खुद करते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर रहने वाले को कोई झुका नहीं सकता। गांधी जी ने पूरे देश का दौराकर लोगों को देशभक्ति व सेवा का संदेश दिया।

यह भी पढ़ें :

शारदीय नवरात्रि तृतीया, आर्थिक हानी से मुक्ति का दिन


मुख्यमंत्री ने बंदियों को करूणा, सदाचार, प्रेम, सद्भावना एवं भाईचारे की सीख दी और कहा कि जेल से रिहा होने के बाद वे गांधी जी के आदर्शों के अनुरूप समाज की मुख्यधारा से जुड़कर आदर्श समाज के निर्माण में सहभागी बनें। मुख्यमंत्री ने ऐसे बंदियों जो विभिन्न धाराओं मंे प्रावधानित सजा से अधिक समय काट चुके है, उनकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश अपर मुख्य सचिव जेल सी. के. खेतान को दिए। इस अवसर पर गांधी जी के जीवन पर आधारित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। बंदियों ने इस अवसर पर बापू का प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए की आकर्षक प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर उपस्थित अतिथि मंत्रमुग्ध हो गए।
मुख्यमंत्री ने बंदियों से चर्चा करते हुए कहा कि यदि मन में सभी के लिए करूणा, आदर का भाव, सम्मान और समानता का भाव, सेवा और त्याग का भाव होगा तो हिंसा कम होगी। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के त्याग और सेवा के मार्ग को लोगों ने छोड़ दिया है। सम्पन्नता के साथ अध्यात्मिक चिंतन और मनन भी होना चाहिए। बघेल ने कहा कि सद्भावना से अपने विरोधियों का भी दिल जीता जा सकता है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका जेल के जनरल स्मटस के साथ गांधी जी सद्भावपूर्ण व्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा कि जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आ रहे थे तो उन्होंने अपने विरोधी जनरल स्मटस को अपने हाथों से जेल में बनाई चप्पल भेंट की थी। गांधी जी के इस सद्भावना से जनरल स्मटस का हृदय परिवर्तन हुआ। उन्होंने लिखा यह चप्पल इतने महान व्यक्ति ने अपने हाथों से बनाई है कि मैं अपने पैर चप्पल में ड़ालने के योग्य नहीं हूं। उन्होंने कैदियों को एक था मोहन कहानी पढ़कर सुनाई।
केन्द्रीय जेल में आयोजित कार्यक्रम में गृह एवं जेल मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बंदियों को गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका के जेल में बिताए गए दिनों की कहानी सुनाई और गांधी जी के प्रेरक प्रसंग को बंदियों द्वारा अपने आचरण में धारण करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि जेल भी एक स्कूल है। यहां की शिक्षा को जीवन में अपनाए और जेल से निकलने के बाद समाज में रचनात्मक भूमिका निभाएं। कार्यक्रम को गांधी सेवा संस्थान नई दिल्ली से आए सोपान जोशी ने भी संबोधित किया। जोशी ने कहा कि महात्मा गांधी जी को आलोचनाओं से फर्क नहीं पड़ता था। जिन लोगों ने गांधी जी का विरोध किया आगे चलकर वही लोग उनके अनुयायी बनें।

इस अवसर पर कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, रायपुर सांसद सुनील सोनी, राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, विधायक सत्यनारायण शर्मा, कुलदीप सिंह जुनेजा, विकास उपाध्याय और रायपुर नगर निगम के महापौर प्रमोद दुबे, अपर मुख्य सचिव सी. के. खेतान, सचिव गृह एवं जेल अरूण देव गौतम, जेल महानिदेशक विनय सिंह सहित वरिष्ठ नागरिक, जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

Related Articles