गणेश चतुर्थी 2021 : 150 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर अद्भुत योग, जाने शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजा

गणेश चतुर्थी 2021 : शुभ और अमृत योग मे होगी गणेश जी की पूजा

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

रायपुर (अविरल समाचार). गणेश चतुर्थी 2021 : शुक्रवार 10 तारीख को गणेश चतुर्थी हैं. यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। ब्रह्म और रवि  योग भी है।सूर्य बुध शुक्र और शनि ये चार गृह स्वग्रही है| गणेश चरुर्थी एसा योग लगभग 150 वर्ष बाद बन रहा है| जीवन मे प्रगति और लोकप्रियता के साथ स्थिरता प्राप्त करने के लिये इस दिन गणेश जी पूजन अत्यंत लाभदायक होगा।

गणेश चतुर्थी 2021,भारतीय आध्यात्म में मनुष्य की भावना और बुद्धि दोनो में सामंजस्य को अत्याधिक महत्व दिया गया है| कारण यह है कि मनुष्य की भावनाएं सत्य से परे जाने का कभी प्रयास नही करती और मनुष्य की बुद्धि सदैव समयानुसार शक्ति का उपयोग कर आसुरी और नकारात्मक प्रवृतियों के अंत हेतु प्रयासरत रहती है|

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सतयुग में सत्य के प्रतिनिधि देव, महादेव याने शिव और उनकी अर्द्धांगिनी शक्ति स्वरूपा माँ पार्वती की संतान के रूप में जब गजानन का अवतरण हुआ तो, इसका उद्देश्य यही था कि मानव मात्र के जीवन में जब भी सत्य मन और शक्ति  को लेकर असंतुलन होगा और जीवन में बाधायें आयेंगी तो उसके निवारण का सारा उत्तरदायित्व भगवान श्रीगणेश क ही होगा|

शास्त्रों में गणेश जी को ‘ एकदंतो महबुद्धि:’ कहा गया है, अर्थात एकदंत श्री गणेश ने समस्या के समाधान के लिये बुद्धि के प्रतीक अपने गजशीश में उपलब्ध दोनो दाँतो का नही अपितु अपने भक्त की समस्या के समूल नाश के लिये उसे मानसिक एकाग्रता और शांति भी प्रदान करते हैं|

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गणेश चतुर्थी 2021 में स्थापना मुहूर्त

सिंह लग्न में प्रात: 6.20 बजे तक|

वृश्चिक लग्न में प्रात: 10.42  से12.57 तक|

कुम्भ लग्न में सायंकाल 4.51 से 6.25 तक|

वृषभ लग्न में रात्रि 9.39 से 11.38 तक|

गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन वर्जित है| चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या आरोप लगता है एसा शास्त्रों में बताया गया है| चंद्रोदय 9.01 बजे रात्री|

गणेश चतुर्थी 2021 में भद्रा का प्रभाव नही

प्रात: 11.07 बजे से रात्रि 9.56 बजे तक भद्रा है| भद्रा का प्रभाव इसलिये नही होगा क्यो कि चन्द्र कन्या और  तुला   राशी मे है। “ मुहुर्त चिंता मणि” मे वर्णित है कि जब चन्द्र कन्या या  तुला   राशी मे हो तो भद्रा पाताल लोक मे गमन करती है। अत: भद्रा का कोई दुष्प्रभाव नही होगा।

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