क्या है नीली रोशनी और कैंसर के बीच का संबंध? स्पेन के शोधकर्ताओं ने किया चौंकानेवाला खुलासा

नई दिल्ली(एजेंसी): रात को लंबे समय तक मोबाइल फोन की रोशनी की जद में रहना आंतों के कैंसर का खतरा 60 फीसद तक बढ़ा देता है. ये चौंकानेवाला दावा स्पेन के शोधकर्ताओं ने किया है. शोध को बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की तरफ से पूरा किया गया.

शोध में बताया गया है कि नीली रोशनी की तरंगों से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. नीली रोशनी आम तौर से LED, टैबलेट और फोन स्क्रीन से निकलती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक रात में नीली रोशनी की जद में रहने से हार्मोन मेलाटॉनिन का उत्पादन घट जाता है. रोशनी की तरंगों और तीव्रता का प्रभाव मेलाटॉनिन हार्मोन के स्राव पर पड़ता है. विशेषज्ञ इससे पहले किए गए शोध में मोबाइल से निकलनेवाली नीली रोशनी का संबंध ब्रेस्ट कैंसर से भी जोड़ चुके हैं मगर अब उनका कहना है कि रात में देर रात जागकर मोबाइल के इस्तेमाल से आंतों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.

उन्होंने कहा कि पूर्व के शोध को मद्देनजर रखते हुए फैसला कृत्रिम रोशनी की जद में रहने और आंतों के कैंसर के बीच संबंध का पता लगाने के लिए अध्ययन का फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि मानव शरीर और पारिस्थितिकी तंत्र पर रोशनी के पड़नेवाले प्रभाव के बारे में चिंता बढ़ गई है. हालांकि उन्होंने किए गए अध्ययन पर आगे और शोध की जरूरत बताई. आपको बता दें कि कोलोरेक्टल कैंसर को पेट का कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है. दुनिया भर में ब्रेस्ट और लंग कैंसर के बाद सबसे ज्यादा कोलोरेक्टल कैंसर के मरीज पाए जाते हैं.

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