नई दिल्ली(एजेंसी): बिहार में वोटों की गिनती शुरू करीब पांच घंटे से ज्यादा का समय हो गया है. इन पांच घंटो में एनडीए और महागठबंधन के बीच जमकर उठा पटक देखने को मिली है. शुरुआती एक घंटे में जहां महागठबंधन की बढ़त थी तो उसके बाद एनडीए ने करवट बदली और रुझानों में बहुमत हासिल किया.
दोपहर 01.16 बजे के रुझानों के मुताबिक एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार चुका है. एनडीए के खाते में 127 सीटें जाती नजर आ रही हैं वहीं महागठबंधन 106 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी भी एक सीट पर आगे चल रही है, 9 पर निर्दलीय आगे हैं. बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है.
रुझन के मुताबिक बीजेपी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है. एनडीए में पार्टी के हिसाब से सीटों की बात करें तो बीजेपी 72, जेडीयू 49, वीआईपी पांच सीटों पर आगे चल रही है. वहीं जीतनराम मांझी की पार्टी का एक सीट पर आगे चल रही है. रुझानों के मुताबिक बीजेपी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. यूपीए की बात करें तो आरजेडी 62, कांग्रेस 21 और लेफ्ट 19 सीटों पर आगे चल रहा है.
बीजेपी के बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आने के साथ ही नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल उठ रहा है कि बीजेपी से कम सीटें आने और अपने पिछले प्रदर्शन से भी नीचे जाने पर क्या नीतीश नैतिक आधार पर कुर्सी थोड़ देंगे. इसके साथ बीजेपी को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी ज्यादा सीट आने पर कोई विकल्प देखेगी या फिर प्रधानमंत्री मोदी ने जो वादा किया है उसे निभाया जाएगा.
सीएम की कुर्सी को लेकर जेडीयू के नेता केसी त्यागी से बात की. केसी त्यागी ने कहा कि हां, नीतीश मुख्यमंत्री बनेंगे क्योंकि यह एक पार्टी का नहीं गठबंधन का फैसला है. राजनीतिक एक्सपर्ट नहीं तय कर सकते कि बिहार में क्या होगा. बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच जो तय हुआ है वहीं होगा. क्या नीतीश सीएम ना बनकर प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष को झूठा साबित कर दें.
बिहार के नतीजों को देखकर चुनावी एक्सपर्ट भी हैरान हैं. शुरुआती रुझान में जब पोस्टल बैलट खुल रहे थे तब महागठबंधन को बढ़त दिख रही थी. उस वक्त कहा जा रहा था कि अगर अभी यह हाल है तो आगे जाकर यह नंबर बीजेपी और जेडीयू के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.
गिनती के शुरुआती एक घंटे में महागठबंधन ने बढ़त बना कर रखी थी. एनडीए ने जब 100 का आंकड़ा भी पार नहीं किया था उस वक्त महागठबंधन को बहुमत मिल चुका था. लेकिन धीरे धीरे जैसे ईवीएम खुलने शुरू हुए तब एनडीए का पड़ला भारी होना शुरू हो गया.
रुझानों में बढ़ते के बाद भी एनडीए के खेमे में पूरी तरह खुशी नजर नहीं आ रही है. इसके पीछे का कारण बिहार की वो 70 सीटें जिन पर जीत हार का अंतर बेहद कम है. इनमें से भी 40 से ज्याजा सीटें हैं जहां एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार के बीच वोटों का अंतर हजार से भी कम है.
इसके साथ ही अभी लगभग 50 लाख वोटों की ही गिनती हुई है, जबकि बिहार में इस बार करीब चार करोड़ वोट पड़े हैं. इसलिए एक्सपर्ट का भी कहना है कि रुझानों को देखकर हमें किसी परिणाम पर नहीं पहुंचना चाहिए. यही एनडीए खेमे के लिए भी चिंता का सबब बना हुआ है.