करवा चौथ : आसान दस पदों में इस प्रकार करें व्रत

करवा चौथ 2019 : पति पत्नी के भावनात्मक संबंधों में आयगी मजबूती

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

रायपुर (अविरल समाचार). इस वर्ष 2019 में करवा चौथ (karva chauth 2019) पर 7 दशक बाद गज केशरी योग बन रहा हैं. इस योग में की जाने वाली पूजा से पति पत्नी के बिच भावनात्मक संबंध मजबूत होंगे. आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे से की कैसे करें इस दिन पूजा और क्या है करवा चौथ की कथा.

सम्बंध का सेतु चंद्र

भारतीय आध्यात्म में विवाह को केवल एक शारीरिक आवश्यकता की परिपूर्ति या संतान उत्पत्ति का माध्यम न मान कर भावनात्मक आधार पर निर्मित सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकता माना गया है| इसे एक नही अपितु जन्म जन्मांतर के सम्बंध के रूप में परिभाषित किया गया है| वैसे विश्व की हर पूजा और प्रार्थना पद्धति में चंद्र को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, लेकिन भारतीय आध्यात्म में चंद्र को मनुष्य के सूक्ष्म तत्व मन का कारक,’चंद्रमा मनसो जात:’ कह कर बताया गया है| वैसे भी सौन्दर्य का वर्णन करते समय तुलना के लिये चंद्र को ही आधार माना गया है| भारतीय ज्योतिष में विवाह के लिये वर और वधु के सम्बंध का सेतु भी चंद्र को माना गया है|

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करवा चौथ इस प्रकार करें व्रत

‘वामन पुराण’ में सर्व प्रथम इस करवा चौथ  (karva chauth) व्रत का वर्णन मिलता है| वैसे यह व्रत कठिन है, लेकिन वे महिलायें जो किसी भी तरह से व्याधि से पीडित है, वे भी अपनी शक्ति और सुविधा के अनुसार इस व्रत को कर सकती हैं| बड़े ही आसान ‘दस’ पदों में इस व्रत को करें:

1. व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- “मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”।

2. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे ‘वर’ कहते हैं।

3. पीली मिट्टी से गौरी बनाएँ और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएँ। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएँ। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएँ। सुहाग सामग्री से गौरी का शृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें।

4. बायना देने के लिए ‘करवा’ लें। करवा में गेहूँ और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें।

5. रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएँ। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना इस मंत्र से करें। मंत्र: ‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे’॥

6. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूँ या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।

7. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।

8. तेरह दाने गेहूँ के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।

9. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें। पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएँ और स्वयं भी भोजन कर लें।

10. जिस वर्ष लड़की की शादी होती है उस वर्ष उसके पीहर से चौदह चीनी के करवों, बर्तनों, कपड़ों और गेहूँ आदि के साथ बायना भी आता है।

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करवा चौथ की कथा

बहुत समय पहले वीरवती नाम की एक सुन्दर लड़की थी। वो अपने सात भाईयों की इकलौती बहन थी।  उसकी शादी एक राजा से हो गई। शादी के बाद पहले करवा चौथ के मौके पर वो अपने मायके आ गई। उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन पहला करवा चौथ होने की वजह से वो भूख और प्यास बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह बेताबी से चांद के उगने का प्रतीक्षा करने लगी। उसके सातों भाई उसकी ये हालत देखकर परेशान हो गये। वे अपनी बहन से बहुत ज्यादा प्यार करते थे। उन्होंने वीरवती का व्रत समाप्त करने की योजना बनाई और पीपल के पत्तों के पीछे से आईने में नकली चांद की छाया दिखा दी। वीरवती ने इसे असली चांद समझ लिया और अपना व्रत समाप्त कर खाना खा लिया।
रानी ने जैसे ही खाना खाया वैसे ही समाचार मिला कि उसके पति की तबियत बहुत खराब हो गई है। रानी तुरंत अपने राजा के पास भागी। रास्ते में उसे भगवान शंकर पार्वतीदेवी के साथ मिले। पार्वती देवी ने रानी को बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है क्योंकि उसने नकली चांद देखकर अपना व्रत तोड़ दिया था। रानी ने तुरंत क्षमा मांगी।
पार्वती देवी ने कहा, ”तुम्हारा पति फिर से जीवित हो जायेगा लेकिन इसके लिये तुम्हें करवा चौथ का व्रत कठोरता से संपन्न करना होगा। तभी तुम्हारा पति फिर से जीवित होगा।” उसके बाद रानी वीरवती ने करवा चौथ का व्रत पूरी विधि से संपन्न किया और अपने पति को दुबारा प्राप्त किया।

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