रायपुर (अविरल समाचार). कंतकाबी की कविताओं और उनके सभी लेखों में स्वतंत्रता संग्राम की झलक है। उनके लेखन ने आम लोगों में ब्रिटिश के विरुद्ध क्रांति की भावना प्रज्वलित कर दी। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने अपने ओड़िशा प्रवास के दौरान गत दिवस कटक में फतुरानंद स्मृति समारोह और कंतकाबी पुरस्कार समारोह में उक्ताशय के उदगार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हरिचंदन ने अपने उद्बोधन में कंतकाबी की बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डाला.
हरिचंदन ने कहा कि कंतकाबी के लेखन और कविता ने आम लोगों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक हथियार के रूप में काम किया। ओडिशा के राज्य संगीत के रूप में उनके द्वारा रचित संगीत ‘‘बनंदा उक्राला जननी” ने हर ओडिशा वासी के दिल को आंदोलित किया है। महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर कंतकाबी ने स्कूल छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गये और जेल गये। स्वतंत्रता संग्राम में वे अकेले नहीं थे, बल्कि उनका पूरा परिवार भी शामिल था। उनकी रचनाओं में क्रांति के अलावा व्यंग्य, हास्य, करुणा और गंभीरता का समावेश है। उन्होंने साहित्य के हर पहलू में कहानियाँ, कविताएँ, उपन्यास, नाटक आदि की रचना करके रूढ़िवादी साहित्य को समृद्ध किया। राज्यपाल ने कहा कि कंतकाबी का जीवन हमेशा देश की मुक्ति और आम लोगों की भलाई के लिए समर्पित था।
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हास्य विकास केंद्र कटक, फतुरानंद के स्मृति समारोह के अवसर पर राज्यपाल हरिचंदन ने ओडिशा के प्रसिद्ध हास्य लेखक फतुरानंद को याद किया। फतुरानंद की रचनाएँ व्यंग्य और हास्य से भरपूर थीं। ऐसी रचनाएँ समाज को सुधारने के साथ-साथ समाज को स्वस्थ रखने में भी सहायक होती हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने लेखक विजयानंद सिंह की पुस्तक ‘‘अतीत और अस्मिता‘‘ का विमोचन किया ।
कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में बिपिन बिहारी मिश्र शामिल हुए। राज्यपाल ने उन्हें कंटकबी पुरस्कार से नवाजा। कार्यक्रम में श्री गौहरि दास मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बैरिस्टर अधिवक्ता गिरिजानंद नायक ने की, जबकि स्वागत भाषण लेखक विजयानंद सिंह ने दिया। इस अवसर पर उड़ीसा के कवि, लेखक, साहित्यकार, नाटककार एवं प्रबुद्ध जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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