इसरो चन्द्रयान-2 के लिए तैयार, 9-16 जुलाई के बीच होगी लॉन्चिंग

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 11 साल बाद एक बार फिर चंद्रमा की सतह को खंगालने के लिए तैयार है। इसरो ने बुधवार को ट्वीट किया कि वह चंद्रयान-2 को 9 से 16 जुलाई के बीच छोड़ेगा। इसरो ने उम्मीद जताई है कि चंद्रयान-2 चंद्रमा पर 6 सितंबर को उतरेगा। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं, जिनके नाम ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 800 करोड़ रुपए है। 9 से 16 जुलाई के बीच चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी 363,726 किलोमीटर के आसपास रहेगी। अगर मिशन सफल हुआ तो अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चांद पर रोवर उतारने वाला चौथा देश होगा।

चंद्रयान-2 इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 से पृथ्वी की कक्षा के बाहर छोड़ा जाएगा। फिर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया जाएगा। करीब 55 दिन बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। फिर लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद रोवर उसमें से निकलकर विभिन्न प्रयोग करेगा। चांद की सतह, वातावरण और मिट्टी की जांच करेगा। वहीं, ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर पर नजर रखेगा। साथ ही, रोवर से मिली जानकारी को इसरो सेंटर भेजेगा।

वक़्त :- ऑर्बिटर- 1 साल, लैंडर (विक्रम)- 15 दिन, रोवर (प्रज्ञान)- 15 दिन

वजन :-ऑर्बिटर- 2379 किलो, लैंडर (विक्रम)- 1471 किलो, रोवर (प्रज्ञान)- 27 किलो

ऑर्बिटर :- चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाकर 2015 में ही इसरो को सौंप दिया था।

लैंडर (विक्रम) :- लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। इसकी शुरुआती डिजाइन इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद ने बनाया था। बाद में इसे बेंगलुरु के यूआरएससी ने विकसित किया।

रोवर (प्रज्ञान) :- 27 किलो के इस रोबोट पर ही पूरे मिशन की जिम्मदारी है। चांद की सतह पर यह करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा। इस दौरान यह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। फिर चांद से प्राप्त जानकारी को विक्रम लैंडर पर भेजेगा। लैंडर वहां से ऑर्बिटर को डाटा भेजेगा। फिर ऑर्बिटर उसे इसरो सेंटर पर भेजेगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनट लगेंगे। यानी प्रज्ञान से भेजी गई जानकारी धरती तक आने में 15 मिनट लगेंगे।

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