नई दिल्ली (एजेंसी)। आम बजट से ठीक एक दिन पहले गुरुवार को देश का आर्थिक सर्वे सदन के पटल पर रखा गया। इस सर्वे में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 7 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बताया गया है। सर्वे में बताया गया है कि भारत को वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लिए 8 फीसदी की रफ्तार से जीडीपी ग्रोथ जरूरी है। अहम बात यह है कि अभी जीडीपी की रफ्तार 7 फीसदी की है। इसका मतलब यह हुआ कि देश की जीडीपी ग्रोथ में 1 फीसदी की तेजी की जरूरत है।
इसके अलावा सर्वे में साल 2019-20 में ऑयल की कीमतों में गिरावट का अनुमान बताया गया है। सर्वे के मुताबिक FY19 में राजकोषीय घाटा 5.8 फीसदी था। बता दें कि इस सर्वे को वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे पहले राज्यसभा में पेश किया। इसके करीब 1 घंटे बाद निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वे को पेश किया। बता दें कि 5 जुलाई को निर्मला सीतारमण आम बजट सदन के पटल पर रखेंगी।
आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे इसमें कमी की कोई आशंका नहीं है। सर्वे में बताया गया है कि विदेशी निवेशकों का भरोसा घरेलू बाजार में बढ़ा है। वित्त वर्ष 2018-19 में नेट एफडीआई में 14.1 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
सर्वे में बताया गया है कि अकोमोडेटिव यानी उदार मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) पॉलिसी से वास्तविक कर्ज की दरें कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी गतिविधियों के चलते जनवरी-मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई। इसके अलावा क्रेडिट ग्रोथ अधिक रहने से FY20 में इन्वेस्टमेंट रेट अधिक रहने की बात कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि FY19 में सुस्ती के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का संकट जिम्मेदार है।
सर्वे के मुताबिक एनपीए की समस्या सरकारी बैंकों में ज्यादा है, जिससे उनकी बैलेंसशीट पर असर पड़ा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि क्रेडिट ग्रोथ में तेजी देखी जा रही है। साल 2018 की दूसरी छमाही से क्रेडिट ग्रोथ में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है।