अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़े ने जमीन पर दावा किया, सुप्रीम कोर्ट ने मांगे ढांचे के सबूत, जानिए दिनभर सुनवाई में क्या हुआ

नई दिल्ली (एजेंसी)। अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई आज से शुरू हो गई है। इस मामले पर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है, जिसकी अगुवाई खुद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। मध्यस्थता को लेकर नियुक्त की गई समिति के किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद में 6 अगस्त से रोज सुनवाई करने का आदेश दिया था। मंगलवार को जब अदालत में सुनवाई शुरू हुई तो सबसे पहले निर्मोही अखाड़े ने अपने तर्क रखे, इस दौरान अदालत में सवाल-जवाब का सिलसिला भी शुरू हुआ। वहीं आज की सुनवाई स्थगित हो गई है, अब बुधवार 7 अगस्त को सुनवाई होगी।

जानिए दिनभर की सुनवाई में क्या-क्या हुआ :

10.30 AM: राम मंदिर मामले पर सुनवाई शुरू हुई। 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर कोर्ट में पहुंचे। निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील कुमार जैन ने अपनी बात रखनी शुरू की। राम मंदिर मामले के लाइव प्रसारण की मांग को अदालत की तरफ से खारिज कर दिया गया।

10.45 AM: चीफ जस्टिस ने बहस शुरू होते ही कहा कि सबसे पहले स्टेटस और लोकस पर दलीलें रखी जाएं। जिसके बाद सुशील जैन ने अपनी बात कहनी शुरू की। निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील जैन ने आंतरिक कोर्ट यार्ड पर मालिकाना हक का दावा किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों से इस जमीन और मन्दिर पर अखाड़े का ही अधिकार और कब्ज़ा रहा है, इस अखाड़े के रजिस्ट्रेशन से भी पहले से ही है। निर्मोही अखाड़े की तरफ से कहा गया है कि सदियों पुराने रामलला की सेवा पूजा और मन्दिर प्रबंधन के अधिकार को छीन लिया गया है।

10.59 AM: निर्मोही अखाड़े ने अदालत से कहा कि हमसे पूजा का अधिकार छीना गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहस के दौरान निर्मोही अखाड़े से पूछा कि क्या कोर्टयार्ड के बाहर सीता रसोई है?

11.05 AM: निर्मोही अखाड़े ने अदालत को बताया कि 1961 में वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा ठोका था। लेकिन हम ही वहां पर सदियों से पूजा करते आ रहे हैं, हमारे पुजारी ही प्रबंधन को संभाल रहे थे। सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को कुछ शरारती तत्वों ने रामजन्मभूमि पर बना विवादित ढांचा ढहा दिया था।

11.10 AM: सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारे सामने वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति को साफ करें। चीफ जस्टिस ने पूछा कि वहां पर एंट्री कहां से होती है? सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से? इसके अलावा CJI ने पूछा कि निर्मोही अखाड़ा कैसे रजिस्टर किया हुआ? जस्टिस नज़ीर ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि आप बहस में सबसे पहले अपनी बात रख रहे हैं, आपको हमें इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए।

11.25 AM: इसके बाद निर्मोही अखाड़े के वकील ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से जो सबमिशन किया गया, उसे अदालत के सामने पढ़ा। निर्मोही अखाड़े की तरफ से इस मामले के इतिहास और बाबर शासन काल का जिक्र किया जा रहा है। निर्मोही अखाड़े ने कहा कि 16 दिसंबर 1949 को आखिरी बार जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में नमाज़ पढ़ी गई थी। जिसके बाद 1961 में वक्फ बोर्ड ने अपना दावा दाखिल किया था। लेकिन इसी दौरान जब राजीव धवन ने कोर्ट को टोका तो CJI ने कहा कि आपको आपका समय मिलेगा, बीच में ना टोकें और कोर्ट की गरिमा का ध्यान रखें।

12.20 PM: निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे की जमीन पर मस्जिद निर्माण नहीं कर सकता है। ऐसे में जबरन कब्जाई गई जमीन पर बनाई गई मस्जिद गैर इस्लामिक है और वहां पर अदा की गई नमाज़ कबूल नहीं होती है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जज ने कहा है कि मस्जिद से पहले किसी तरह के ढांचे का कोई सबूत नहीं है। इस पर निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि अगर उन्होंने इसे ढहा दिया तो इसका मतलब ये नहीं है कि वहां पर कोई निर्माण नहीं था। चीफ जस्टिस ने इसके बाद कहा कि इसी मुद्दे के लिए ट्रायल होता है, आपको हमें सबूत दिखाना पड़ेगा।

01.40 PM: मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि पूरी जमीन अखाड़े के पास ही है, इस पर मुस्लिम पक्ष का दावा गलत है। जो अन्य हिंदू पक्ष हैं वह पूजा का अधिकार मांग रहे हैं। इसके बाद अदालत में लंच हो गया।

02.35 PM: लंच के बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई। निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1850 से ही हिंदू पक्ष उस स्थान पर पूजा करता आ रहा है। लेकिन ब्रिटिश काल में ऐसा लागू नहीं रह सका था। हालांकि, ब्रिटिश काल में भी दर्शन की सुविधा जारी रही थी।

इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई में जल्दबाजी में नहीं है। दरअसल, निर्मोही अखाड़े की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुछ जवाबों को रखा जा रहा था, वकील ने कहा था कि वह पहले उनका पक्ष बताएंगे फिर अपनी बात को आगे रखेंगे। जिसपर CJI ने कहा कि ये आपका केस है, अपनी बात पूरी करें। हम जल्दबाजी में नहीं हैं।

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