नई दिल्ली(एजेंसी): यूनिवर्सिटी व कालेजों में परीक्षा पर सस्पेंस बढ़ता ही जा रहा है। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। केंद्र सरकार के फैसले के बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) ने देशभर में फाइनल ईयर के छात्रों के एग्जाम कराने का फैसला लिया है. इसके विरोध में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की जिसमें यूजीसी के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन के फैसले को चुनौती दी गई है. हालांकि कोर्ट ने अभी तक सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार नहीं की है। बता दें कि महाराष्ट्र की सरकार पहले ही फाइनल ईयर के छात्रों को पास करने के लिए अपनी तरफ से पैरामीटर बना चुकी थी. इसलिए यूजीसी के नए फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार भड़की हुई है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण देशभर में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक परीक्षाएं प्रभावित हुई थीं. स्कूलों में तो बोर्ड परीक्षाएं तक रद्द कर दी गई थीं, लेकिन केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी में अंतिम साल या सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला किया था. 6 जुलाई को यूजीसी ने विश्वविद्यालय परीक्षाओं को लेकर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत सभी यूनिवर्सिटी में 30 सितंबर से पहले अंतिम साल या सेमेस्टर की परीक्षाओं को पूरा करने का निर्देश दिया गया था. इसके खिलाफ लगातार छात्र अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश के बाद देशभर में अबतक 194 विश्वविद्यालयों ने अंतिम साल की परीक्षाएं आयोजित कर ली हैं. यूजीसी ने हाल ही में विश्वविद्यालयों में संपर्क कर अंतिम साल की परीक्षा को लेकर जानकारी मांगी थी और उसे 755 यूनिवर्सिटी से जवाब मिला.
यूजीसी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर अपने संशोधित दिशा-निर्देशों के पालन होने की जानकारी दी. यूजीसी की रिलीज में बताया गया है कि उन्होंने देश में सभी यूनिवर्सिटी (डीम्ड, निजी और सरकारी) से दिशा-निर्देशों पर की गई कार्रवाई को लेकर संपर्क किया था और उसे 755 विश्वविद्यालयों से जवाब मिला है.
यूजीसी के मुताबिक, उसे 120 डीम्ड, 274 निजी, 40 केंद्रीय और 321 राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों से जवाब मिला है, जिनमें से 194 ने अभी तक इन परीक्षाओं को पूरा कर लिया है. वहीं 366 अन्य यूनिवर्सिटी अगस्त या सितंबर में इन्हें आयोजित करने की योजना बना रही हैं.