रायपुर (अविरल समाचार) : अब तक के लाॅकडाउन का राजधानी के लोगों के लिए अनुभव यह रहा है कि बाजार बंद रहने के दौरान कालाबाजारी की वजह से सामान दोगुने रेट पर चोरी-छिपे मिल जाता था, अनलाॅक में फिर पुरानी कीमत लागू हो जाती थी। इस बार भी लाॅकडाउन तो वैसा ही रहा, लेकिन अनलाॅक ने दो दिन में ही शहर को महंगाई से डरा दिया है। पिछले दो दिन से बाजार में सब्जी के साथ-साथ किराने की कुछ जरूरी चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। कई चीजें लाॅकडाउन के दौरान चुपके से जिस रेट पर मिल रही थीं, अनलाॅक के बाद उनकी कीमत और बढ़ गई है। अनलाॅक में यह वसूली सिर्फ इस तर्क के साथ चल रही है कि सप्लाई नहीं है। मांग और सप्लाई के इस अंतर पर प्रशासन की दो दिन से नजर नहीं पड़ी है। राजधानी में सबसे ज्यादा असर सब्जी पर पड़ा है। लाॅकडाउन में चोरी-छिपे या मोहल्लों में धनियां 400 रुपए किलो मिल रहा था। अनलाॅक में कीमत घटने की उम्मीद थी, लेकिन पिछले 2 दिन से यह चिल्हर बाजार में 400 रुपए किलो ही बिक रहा है। इस तरह आलू थोक बाजार में 30 रुपए किलो में है, लेकिन मोहल्लों में 50 रुपए किलो तक बिक रहा है। प्याज भी 50 रुपए किलो से कम में नहीं बेच रहे हैं। थोक सब्जी कारोबारियों ने बताया कि रायपुर में अभी केवल छिंदवाड़ा से ही धनिया आ रहा है। धनिया-मिर्च से लेकर टमाटर तक, सब्जी कारोबारियों का तर्क यही है कि मांग के मुकाबले सप्लाई कम है, इसलिए कीमतें बढ़ी हुई हैं।
छत्तीसगढ़ में रायपुर, भाटापारा समेत कई शहरों में बड़ी संख्या में दाल मिलें हैं। लेकिन इन मिलों में खड़ी दालें जिनसे अरहर दाल बनती है वो महाराष्ट्र के अकोला और अमरावती से आती है। इसलिए जब तक खड़ी दालें महाराष्ट्र से नहीं आती हैं, राज्य में दाल नहीं बन पाती। महाराष्ट्र में कोरोना और बारिश की वजह से फसलें और उसकी सप्लाई बेहद प्रभावित हो रही है।
इसी के असर से रायपुर समेत आसपास के जिलों में अरहर दाल की कीमत 100 रुपए से ज्यादा हो गई है।
लॉकडाउन के 72 घंटे पहले कालाबाजारी रोकने के लिए प्रशासन की टीम ने सभी बाजारों का दौरा किया और 1 दर्जन से ज्यादा दुकानों को सील किया गया। इसके बाद लॉकडाउन में कालाबाजारी जारी रही, लेकिन कार्रवाई ठप हो गई। लॉकडाउन खुलने के दो दिन बाद भी खाद्य निरीक्षकों ने जांच तो दूर बाजारों का दौरा तक नहीं किया।
इस वजह से चिल्हर बाजारों में सब्जियों या किराना सामान की कीमतें कम ही नहीं हुई।
टमाटर 40-50 रुपए किलो, बैंगन 20-25, लौकी 20-25, धनिया 400, मिर्च 60, करेला 45, भिंडी 60-70, गोभी 60-70, बंदगोभी 25, आलू 30-35, प्याज 40-42, सेमी 60, लहसुन 105-115, मुनगा 55-60, लाल भाजी 40, पालक 40, गाजर 25-30, खीरा 20-25, कुंदरु 25, कुम्हड़ा 15-16।
भास्कर की पड़ताल में पता चला कि सप्लाई कम होने की वजह उत्पादन में कमी नहीं है। दरअसल बिहार में बाढ़ और उत्तरप्रदेश में बेमौसम बारिश की वजह से सब्जी समेत कई फसलें बर्बाद हो गईं। इसलिए यहां से दोगुनी सब्जी वहीं जा रही है। किसानों को रायपुर मंडी के बजाय बाहर अच्छा रेट भी मिल रहा है। थोक सब्जी कारोबारियों का कहना है कि लोकल किसान इन राज्यों में सब्जियों की सप्लाई कर रहे हैं। इससे उन्हें फायदा तो हो रहा है, लेकिन प्रदेश में सब्जी का संकट होने से रेट दोगुने हो गए।
पिछले सार अरहर दाल की फसल खराब होने पर इसकी कीमत 100 रुपए से कम थी, लेकिन इस बार अचानक इसका रेट 108 रुपए किलो हो गया। जबकि लॉकडाउन में इसकी कीमत 90 से 95 रुपए थी। अनलाॅक के पहले दिन यह 100 पर पहुंची और बुधवार को 8 रुपए और बढ़ गए। इसी तरह, लॉकडाउन से पहले बाजार में चना दाल 62 से 64 रुपए किलो थी, लेकिन बुधवार को 74 रुपए किलो बिकी। चना दाल महंगी होने की वजह से बेसन की कीमत भी बढ़ गई है। इसी तरह, थोक बाजार में शक्कर की सप्लाई कम है, इसलिए यह 38 रुपए किलो तक है।
सब्जियों की आवक कम होने से थोक बाजार में कीमत बढ़ी है। चिल्हर बाजार में यह और भी बढ़ जा रही है। संकेत हैं कि एक माह यही रेट रहेगा।
किराना एक माह ऐसा ही अरहर हो या चना दाल, इस महीने रेट कम नहीं होगा। सप्लाई सामान्य नहीं होने का असर है। चावल-गेहूं यहीं पैदा होते हैं, इसलिए रेट में तेजी नहीं है।
लोग भी शिकायत नहीं करते लॉकडाउन के दौरान और अब भी खाद्य निरीक्षकों के नेतृत्व में बनी टीमें जांच कर रही हैं। कई दुकानें सील भी की गई हैं। शिकायत करनी चाहिए।