नई दिल्ली (एजेंसी)। ई-वाहन के लिए देश का पहला हाईवे कॉरिडोर मार्च 2020 तक बन कर तैयार हो जाएगा। यह कॉरिडोर इन वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन से लैस होगा। अधिकारियों ने बताया कि इसे दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे पर विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह संयुक्त कॉरिडोर 500 किलोमीटर का होगा और उस पर 18 चार्जिंग स्टेशन होंगे। यमुना एक्सप्रेसवे (दिल्ली-आगरा) और नेशनल हाईवे 48 (दिल्ली-जयपुर) के दोनों रूटों पर टोल प्लाजा के पास ये चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि ई-कॉरिडोर निजी उपक्रम सामाजिक एवं प्रशासनिक सुधारों (एएसएसएआर) के कारोबारी सुगमता कार्यक्रम के तहत बनाया जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार का भी सहयोग रहेगा।
प्रोजेक्ट के निदेशक अभिजीत सिन्हा ने बताया कि दिल्ली और ग्रेटर नोएडा के परी चौक पर छह और चार्जिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। उन्होंने नोएडा प्राधिकरण से इसके लिए जमीन देने की सिफारिश की थी। प्रति किलोमीटर चार लेन ऐसे हाईवे को विकसित करने में 14 से 20 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा।
एएसएसएआर के राष्ट्रीय कार्यक्रम के निदेशक अभिजीत सिन्हा ने बताया इस प्रोजेक्ट में एक्सप्रेसवे के 500 किलोमीटर के दायरे को इलेक्ट्रॉनिक कॉरिडोर में बदला जाएगा, जिसमें चार्जिंग की सुविधा होगी। इस कॉरिडोर पर ट्रायल रन सितंबर में शुरू होने की उम्मीद है और इसे अगले साल मार्च तक शुरू कर दिया जाएगा।
दोनों रूटों पर 18 चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। दिल्ली-आगरा रूट पर 8 और दिल्ली-जयपुर रूट पर 10 चार्जिंग स्टेशन होंगे। वाहन चालक चार्ज करने के अलावा वाहनों की बैट्री भी बदल सकते हैं। सभी स्टेशनों पर 8 से 10 चार्जर होंगे और 20 चार्जिंग प्वाइंट होंगे। डीसी चार्जर से ऐसे वाहन को पूरी तरह चार्ज होने में एक घंटा 25 मिनट का वक्त लगेगा। एसयूवी जैसे वाहन के एक बार चार्ज होने पर यह 180 किलोमीटर तक दौड़ सकता है।
भारत में हाल के वर्षों में वाहनों की संख्या में तेजी वे वृद्धि हुई है। 2001 में जहां प्रति 1000 लोगों में से 53 लोगाें के पास वाहन थे, 2015 में यह संख्या बढ़कर 167 हो गई। नीति आयोग की रिपोर्ट में परिवहन के क्षेत्र में स्वच्छ तकनीकी को अपनाने की बात कही गई है। इसमें ऐसे वाहनों को बढ़ावा देने की बात है, जिसमें शून्य उत्सर्जन हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दोपहिया वाहन भी इलेक्ट्रॉनिक मोड को अपना लेते हैं, तो इससे देश में आयात होने वाले कच्चे तेल के मद के 1.2 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।