नई दिल्ली(एजेंसी): भारत अपनी स्वदेशी वैक्सीन पर तेजी से काम कर रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘कोवैक्सीन’ 2021 के फरवरी तक आ सकती है. ‘कोवैक्सीन’ कोविड-19 के खिलाफ भारत का बड़ा दांव है. स्वदेशी वैक्सीन का विकास भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और भारत बॉयोटिक संयुक्त रूप से कर रही है.
ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक रजनी कांत ने गुरुवार को दिल्ली स्थित संस्थान के मुख्यालय में कहा, “वैक्सीन ने अच्छा असर दिखाया है. उम्मीद की जाती है कि अगले साल के शुरू, फरवरी या मार्च तक मुहैया हो सकती है.” उन्होंने बताया कि वैक्सीन का जानवरों पर पहले और दूसरे चरण का परीक्षण सुरक्षित और प्रभावी साबित हुआ है. इसलिए, वैक्सीन सुरक्षित है मगर तीसरे चरण का परीक्षण समाप्त होने तक आप 100 फीसद निश्चिंत नहीं हो सकते. कुछ खतरा हो सकता है, अगर आप खतरा मोल लेने के लिए तैयार हैं तो वैक्सीन इस्तेमाल कर सकते हैं. अध्ययन से इसके सुरक्षित और प्रभावी होने का पता चला है. अगर जरूरी हुआ तो सरकार आपातकालीन स्थिति में वैक्सीन की मंजूरी के बारे में सोच सकती है.
रजनी कांत ICMR के कोविड-19 टास्क-फोर्स के एक सदस्य भी हैं. वरिष्ठ सरकारी वैज्ञानिकि ने कहा कि अक्टूबर के आखिर में अंतिम चरण का मानव परीक्षण शुरू हुआ था. फरवरी में लॉंच होने से कोवैक्सीन भारत की पहली देसी वैक्सीन हो जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने सितंबर में बताया था कि सरकार कोविड-19 वैक्सीन के लिए आपातकालीन मंजूरी खासकर बुजुर्गों और ज्यादा जोखिम वाले लोगों को देने पर विचार कर रही है. अभी तक भारत की उम्मीद ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका पर लगी है मगर वैक्सीन पर काम उम्मीद से ज्यादा चल रहा है.
रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि वैक्सीन की आपूर्ति में देरी हो सकती है. इसका मतलब हुआ कि भारत को कहीं और देखना होगा. देसी डोज का विकल्प सबसे बेहतरीन दांव दिखाई देता है. न सिर्फ भारत बल्कि अन्य देश भी विकल्प के तौर पर अन्य उपाय कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया भी अलग-अलग वैक्सीन के 135 डोज खरीदारी की तैयारी में जुटा है. प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि उनका इरादा जोखिम मोल लेने का नहीं है.