शाहीन बाग : मध्यस्थों के सामने समाधान की चुनौती, प्रदर्शनकरियों ने कहा हट गए तो कोई नहीं पूछेगा

शाहीन बाग में सड़क के आन्दोलन को ख़त्म करने सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक पहल

नई दिल्ली (एजेंसी). शाहीन बाग (Shaheen Bagh): किसी सड़क के आंदोलन को खत्म कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक पहल की है। उसके पास सड़क को खाली कराने के लिए सरकार को सीधे आदेश देने का विकल्प भी था। लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने की बजाय उसने प्रदर्शनकारियों को ही यह अवसर प्रदान किया है कि वह 68 दिनों से चले आ रहे एक आंदोलन का हल निकाले।

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यह अपने आप में एक उदाहरण होगा जहां प्रदर्शनकारियों ने ही दूसरे नागरिकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए समस्या का हल निकालने की कोशिश की हो। कुछ यही मजमून था सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किए गए मध्यस्थों का। लेकिन अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग राय रखने वाली महिलाओं को मध्यस्थों का यह प्रस्ताव पसन्द नहीं आया। वहीं, कुछ लोगों ने इस अवसर को हाथ से गंवाना ठीक नहीं समझा और उन सड़कों को खोलने के विकल्प पर विचार करने की बात कही, जिन्हें खोलकर लोगों को राहत दी जा सकती है। दोनों वरिष्ठ अधिवक्ता कुछ प्रदर्शनकारियों को साथ लेकर वैकल्पिक सड़कों को देखने भी गए। अगर सहमति बनती है तो उन सड़कों को खोलने के विकल्प पर दोनों पक्ष सहमत हो सकते हैं। वार्ता शुक्रवार की भी जारी रहेगी।

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प्रदर्शनकारी महिलाओं को आशंका है कि अगर वे एक बार यहां से हटने को तैयार हो जाते हैं तो उसके बाद कोई उनसे बात करने नहीं आएगा। एक महिला के मुताबिक इतनी महत्वपूर्ण रोड को ब्लॉक करने के बाद दो महीने के बाद बात करने पर विचार किया गया है। अगर वे किसी ऐसी जगहों पर चले गए जहां किसी को कोई परेशानी नहीं होगी, तो कोई भी उनसे बात करने नहीं आएगा। कुछ महिलाओं ने शाहीन बाग के प्रदर्शन स्थल से हटने से स्पष्ट इनकार कर दिया।

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एडवोकेट साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने शुरुआत में मीडिया की उपस्थिति में बात करने से ही इनकार कर दिया। लेकिन प्रदर्शनकारियों के समझाने के बाद वे कुछ देर बाद बात करने आए। साधना रामचंद्रन ने लोगों को अभिवादन किया और ‘तुमने बुलाया और हम चले आये कहकर बातचीत की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को भी उन्हें दादियों का आशीर्वाद मिला, वे इसके लिए शुक्रगुजार हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश में ऐसी बेटियां हों तो वहां देश सुरक्षित रहेगा। प्रदर्शनकारियों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि आपकी बात हमने समझी। अब हमारी और सुप्रीम कोर्ट की बात भी सुनी जानी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि CAA, NRC के मुद्दे कोर्ट में पहुंच चुके हैं। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सामने आएगा। आपकी तरफ से सभी बातें को सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान रखा जायेगा। सुप्रीम कोर्ट मानता है कि आपका प्रदर्शन करने का हक बरकरार है।  बंद सड़क के मुद्दे पर उन्होंने हमें आपके पास भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने आपकी तरफ हाथ बढ़ाया है। शाहीन बाग बरकरार रहेगा। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग में ही किसी अन्य स्थान पर आपका प्रदर्शन भी बरकरार रहे और बाकी के नागरिकों को भी कोई तकलीफ नहीं हो। हमारी कोशिश यही है। अगर बात नहीं बनती है तो मुद्दा वापस सुप्रीम कोर्ट में चला जायेगा। उसके बाद सरकार ही इस मुद्दे का हल निकालेगी। ‘शाहीन बाग’ बरकरार रहते हुए हम इस मुद्दे का हल निकालना चाहते हैं।

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वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि शाहीन बाग भविष्य के प्रदर्शनों के लिए एक आदर्श की तरह बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश में हम साथ रह सकते हैं, एक दूसरे को बिना परेशान किये अपनी बात रख सकते हैं। प्रोटेस्ट का स्थान ऐसा हो जहां किसी को तकलीफ नहीं हो। उनके इस बयान के बाद प्रदर्शनकारियों ने जोर से इनकार किया और उनके इस प्रस्ताव से अपनी असहमति व्यक्त की।  उन्होंने कहा कि हम अपना निर्णय सुनाने नहीं, बल्कि आपकी बात सुनने आये हैं। आपकी बात सुनते हुए इस मुद्दे का हल निकालने की उम्मीद रखते हैं। अगर किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बनती है तो वे वापस चले जायेंगे। इस बयान के बाद संजय हेगड़े प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए मंच से नीचे उतरे। लेकिन उनकी इस बात का भी विरोध हुआ और प्रदर्शनकारियों ने शेम-शेम की नारेबाजी की।

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