नई दिल्ली (एजेंसी). सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को अदालत की अवमानना का दोषी माना है। जापान की दवा बनाने वाली कंपनी दाइची सैंक्यो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यह फैसला दिया। ये मामला 3,500 करोड़ रुपये के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का है। दाइची की तरफ से कहा गया कि मलविंदर-शिविंदर ने इस रकम का भुगतान नहीं किया। इस साल मार्च महीने में दाइची की तरफ से उच्चतम न्यायालय में दोनों भाइयों के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गई थी। उसका कहना था कि दोनों भाई अदालत के आदेश का उल्लंघन कर अपनी संपत्तियों को ठिकाने लगा रहे हैं।
जपानी कंपनी दाइची के द्वारा साल 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा गया था। बाद में कहा गया कि मलविंदर-शिविंदर ने रैनबैक्सी के बारे में रेग्युलेटरी खामियों जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाईं। इस दलील के साथ उसने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। ट्रिब्यूनल ने दाइची के पक्ष में फैसला देते हुए मलविंदर-शिविंदर को भुगतान के आदेश दिए थे। दोनों भाइयों ने ट्रिब्यूनल के इस फैसले को भारत और सिंगापुर की अदालतों में चुनौती दी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनवरी 2018 में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का फैसला बरकरार रखा।
दोनों भाई मलविंदर और शिविंदर रेलिगेयर फिनवेस्ट (आरएफएल) कंपनी में 2397 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में जेल मं बंद है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अक्तूबर में उन्हें गिरफ्तार किया था। मलविंदर को गुरुवार को जेल में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी गिरफ्तार कर लिया। रेलिगेयर फिनवेस्ट मामले में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है।