जयपुर (एजेंसी). राजस्थान में करीब दस दिनो से राजस्थान में जारी सियासी घमासान में आज का दिन बेहद अहम रहने वाला है. जयपुर में सचिन पायलट समर्थक 18 विधायकों की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है. आज का दिन अहम इसलिए है क्योंकि सोमवार को राजस्थान हाई कोर्ट में सचिन पायलट ख़ेमे की तरफ़ से दायर याचिका पर फ़ैसला आ सकता है. शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हाइकोर्ट ने 21 जुलाई शाम 5:30 बजे तक रोक लगा दी थी. इसका मतलब था कि तब तक विधानसभा के स्पीकर विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे.
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राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे पेश हुए थे. वहीं विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे. सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों ने उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य करार देने की कांग्रेस की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गये नोटिस को चुनौती दी है.
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गहलोत गुट ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि ‘बागी विधायकों’ ने कांग्रेस विधायक दल की सोमवार और मंगलवार को हुई दो बैठकों में भाग लेने के लिए जारी पार्टी के व्हिप की अवमानना की है. हालांकि पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है. इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है.
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सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी थी कि विधायक नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं और उन्हें नए सिरे से अर्जी देने के लिए कुछ समय चाहिए. जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है उनमें विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा भी हैं. अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं. इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे.
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कांग्रेस विधायक राजेन्द्र गुढा ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार को अस्थिर करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों में गिरफ्तार किये गये संजय जैन ने उनसे करीब आठ महीने पहले सम्पर्क कर उनकी मुलाकात पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य भाजपा नेताओं से करवाने को कहा था। गुढा ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘भाजपा का यह गेम प्लान कई दिनों से चल रहा था। आठ महीने पहले वह (जैन) मेरे पास आए थे और मुझे वसुंधरा राजे और अन्य भाजपा नेताओं से मिलने को कह रहे थे। उनके मध्यस्था करने वाले लोग सक्रिय थे लेकिन वो अपने प्रयासों में सफल नहीं हुए.’’
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