नई दिल्ली (एजेंसी)| सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व न्यायाधीश डी.के. जैन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का लोकपाल नियुक्त किया है। जैन को बीसीसीआई में उठ रहे प्रशासनिक मुद्दों के कारण उन्हें संभालने के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी है।
शीर्ष अदालत की न्यायाधीश एस.ए. बोब्डे और न्यायाधीश अभय मनोहर सापरे की बैंच ने छह वकीलों के सहमत हो जाने के बाद जैन को लोकपाल नियुक्त किया है। इन छह वकीलों के नाम का सुझाव पी.एस. नरसिम्हा ने दिए थे।
अदालत ने कहा, `इसी अदालत के आदेश पर बनाए गए बीसीसीआई के संविधान के अनुच्छेद 40 के मुताबिक हम इसी अदालत के पूर्व न्यायाधीश डी.के. जैन को बीसीसीआई का पहला लोकपाल नियुक्त करते हैं। वह जल्द से जल्द अपना कार्यभार संभालेंगे। एमिकस क्यूरेई पी.एस नरसिम्हा उनकी नियुक्ति की सभी औपचारिकता पूरी करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि थोडगे को प्रशासकों की समिति (सीओए) के तीसरे सदस्य के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया है। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएजी विनोद राय हैं। रामचंद्र गुहा और विक्रम लिमए के इस्तीफे के बाद से सीओए में पद रिक्त थे।
इनके अलावा सोलीसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राज्य संघों की ओर से पैरवी करते हुए कुछ आवेदनों को सुनने को अदालत से कहा जिसमें फंड देने का मुद्दा भी शामिल है। इस पर न्यायाधीश बोब्डे ने कहा, `जब तक लोग क्रिकेट खेल रहे हैं और जब तक क्रिकेट चल रही है हमें इसमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है।
बीसीसीआई के वित्तिय मामलों में दखल देने से इनकार करते हुए बोब्डे ने नरसिम्हा से कहा कि सीओए फंड देने के मामले में उनकी सलाह ले सकता है। नरसिम्हा हाल ही में एमिकस क्यूरे नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने 2014 से चले आ रहे इस मामले पर संक्षेप में जानकारी दी।
अदालत ने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की कुछ मामलों में से उन्हें हटाने की अपील को खारिज कर दिया तो वहीं उनकी अदालत की अवमानना करने पर दी गई माफी को मंजूर कर लिया। ठाकुर ने अदालत से कहा था कि बीसीसीआई ने आईसीसी से वह पत्र मांगा है जिसमें आईसीसी ने सीएजी के सदस्य की बीसीसीआई बोर्ड में नियुक्ति को बोर्ड मामले में सरकारी दखल बताया था। ठाकुर ने यह बात अदालत से साफ तौर पर नहीं कही थी।