नई दिल्ली(एजेंसी): लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना ने अपने 20 जांबाज जवानों को खो दिया था. शहीद जवानों के पार्थिव शरीर अब उनके घरों में पहुंचने लगे हैं.
राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वालों वीर सपूतों को लोग नम आंखों से आखिरी विदाई दे रहें हैं. जवानों की अंतिम यात्रा में लोगों की भीड़ उमड़ रही है और लगातार अमर रहे के नारे लगाए जा रहे हैं.
भारतीय सेना ने भी अपने बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है. 20 जवानों के बलिदान पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भरोसा दिलाया है कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
शहीद सुनाल कुमार पटना के बिहटा के रहने वाले थे. 2004 में उनकी शादी हुई थी. सुनील अपने पीछे पत्नी तीन बच्चे और बूढ़ें मां-बाप को छोड़ गए हैं. 6 महीने पहले सुनील अपने घर आए थे पर लॉकडाउन की वजह से दोबारा नहीं आ पाए. उनकी बेटी ने कहा मेरे पापा की शहादत का बदला लो. चीनी सैनिकों से झड़प में सुनील शहीद हो गए.
सिपाही अंकुश- हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के करोहटा गांव के रहने वाले थे. उनकी शहादत के खबर के बाद से ही परिवार में कोहराम मचा हुआ है.
सिपाही अमन कुमार- बिहार के समस्तीपुर के सुल्तानपुरपुरब गांव के रहने वाले थे. उनके पिता ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अपने बाकी दो बेटों को भी देश की सेवा के लिए भेज देंगे. उन्होंने कहा कि चीन की वजह से मेरा बेटा चला गया. उनके परिवार वालों का बुरा हाल है.
नायक (NA) दीपक सिंह- मध्य प्रदेश के रीवा जिले के फरांदा गांव के रहने वाले थे. राष्ट्र की रक्षा में उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख स्थित गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में छत्तीसगढ़ के लाल ने भी आहुति दी है. चीनी सैनिकों के साथ झड़प में कांकेर जिले के वीर जवान गणेश कुंजाम शहीद हो गए. गणेश 16 बिहार रेजीमेंट में सिपाही के पद पर कार्यरत थे.
सिपाही कुंदन कुमार- बिहार के सहरसा जिले के आरन गांव के रहने वाले थे. उनकी शहीद होने की खबर आने के बाद इलाके का माहौल गमगीन हो गया है. हर कोई उनके बलिदान को सलाम कर रहा है.
सिपाही कुंदन कुमार ओझा- झारखंड के साहिबगंज जिले के दिहारी गांव के रहने वाले थे. कुंदन अपनी नवजात बेटी का चेहरा नहीं देख सके. उनके घर में 17 दिन पहले बेटी ने जन्म लिया था. ओझा ने अपनी मां से आखिरी बातचीत में वादा किया था कि जैसे ही उन्हें छुट्टी मिलेगी वह घर आएंगे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प में शहीद हुए राज्य के दो जवानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बुधवार को घोषणा की. सिपाही राजेश ओरांग- पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बेलगोरिया गांव बिपुल रॉय अलीपुरद्वार जिले के के रहने वाले थे.
तेलांगना के संतोष बाबू ने राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. संतोष 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे. संतोष अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं. संतोष बाबू को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई झड़प में कर्नल संतोष बाबू की जान चली गई थी.