श्रीनगर (एजेंसी)। कश्मीर में फोन पर केवल दो मिनट बात करने के लिए लोग करीब दो घंटे तक कतार में लग रहे हैं। डीसी कार्यालय के बाहर कतार में लगे कई कश्मीरियों को इन दिनों इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। वे घाटी से बाहर अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों से बात करने के लिए बड़ी बेचैनी से अपनी बारी का इंतजार करते दिख रहे हैं। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की केंद्र की घोषणा के मद्देनजर 5 अगस्त तड़के से कश्मीर घाटी में संचार व्यवस्था बंद है। नई दिल्ली में एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि लोगों की आवाजाही और संचार पर लगी पाबंदियां कुछ और दिनों तक लगी रह सकती हैं और उन्हें हटाने का कोई फैसला स्थानीय प्रशासन की तरफ से लिया जाएगा।
जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने श्रीनगर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए विभिन्न जिलों में पूर्वाभ्यास के पूरा होने के बाद पाबंदियों में आगे और ढील दिये जाने की उम्मीद है। प्रधान सचिव ने कहा, “हम यह आशा करते हैं कि (15 अगस्त) स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विभिन्न जिलों में चल रहे ‘फुल ड्रेस रिहर्सल’ के समाप्त होने के बाद और अधिक ढील (पाबंदियों में) दी जाएगी।”
यहां उपायुक्त कार्यालय में आम आदमी के लिए सरकार द्वारा मुहैया किये गए फोन लाइन पर बात करने के लिए मारूफा भट को दो घंटे इंतजार करना पड़ा। लेकिन अपनी भावनाओं पर काबू पाने के बाद वह दिल्ली में अपनी बहन से बात कर सकीं। उन्होंने फोन पर कहा, “हैलो, क्या आप ठीक हो?” इसके बाद फूट फूट कर रोने लगी। अपने एक साल के बेटे को गोद में लिये मारूफा ने कहा, “हाल ही में मेरे पिता की दिल्ली में हार्ट बाईपास सर्जरी हुई है। हम कुछ दिन पहले ही लौटे हैं और अब दवाइयां खत्म हो रही हैं। यही कारण है कि मुझे दिल्ली में अपनी बहन से संपर्क करना था।” परिवार में किसी का निधन हो जाना, कारोबारी लेन-देन और परीक्षाएं …फोन करने की ऐसी कई सारी जरूरी वजहें हैं।