नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी मंगलवार को Chandrayaan-2 को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है। इसरो वैज्ञानिकों ने सुबह 8.30 से 9.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN#1 में प्रवेश कराया। अब चंद्रयान-2, 118 किमी की एपोजी (चांद से कम दूरी) और 18078 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) वाली अंडाकार कक्षा में अगले 24 घंटे तक चक्कर लगाएगा। इस दौरान चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया गया।
चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी इसलिए की गई है ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए। 20 अगस्त यानी मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया। 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था। उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे।
1 सितंबर तक चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ घूमते हुए चार बार अपनी कक्षा बदलेगा। इसके बाद 2 सितंबर को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रयान से अलग हो जाएंगे। धीमी गति से 2 बार चक्कर लगाने के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव में लैंड करेगा।
LBN#2- 21 अगस्त की दोपहर 12.30-1.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 121×4303 किमी की कक्षा में डाला जाएगा।
LBN#3- 28 अगस्त की सुबह 5.30-6.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 178×1411 किमी की कक्षा में डाला जाएगा।
LBN#4- 30 अगस्त की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 126×164 किमी की कक्षा में डाला जाएगा।
LBN#5- 01 सितंबर की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 114×128 किमी की कक्षा में डाला जाएगा।
चांद के चारों तरफ चार बार कक्षाएं बदलने के बाद चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर बाहर निकल जाएगा। विक्रम लैंडर के साथ प्रज्ञान रोवर भी ऑर्बिटर से अलग होकर चांद की तरफ बढ़ना शुरू करेगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद के चारों तरफ दो चक्कर लगाने के बाद 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे।
इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में जाते समय कड़ी परीक्षा से गुजरेगा। चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहता है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है। गति कम करने के लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए चालू किया जाएगा। इस दौरान एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती है। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।