नई दिल्ली (एजेंसी). 5G नेटवर्क : iPhone के दीवानों को एपल ने मंगलवार रात एक नई सौगात दी है. एपल ने एक ऑनलाइन इवेंट में आईफोन-12 लॉन्च किया. कोरोना की वजह से इस साल आईफोन एक महीने की देरी से लॉन्च किया गया. आईफोन-12 एपल का पहला 5G फोन है, इस फोन के लॉन्च के साथ ही एक बार फिर 5G को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं. लोगों के मन में कई सारे सवाल भी हैं कि आखिर यह 5G है क्या? आपके मन में उठ रहे इन्हीं सवालों का जवाब हम लेकर आए हैं.
5G नेटवर्क यानी बेहद तेज इंटरनेट की एक ऐसी दुनिया है, जहां सारा काम पलक झपकते ही हो जाएगा. या फिर यह भी कह सकते हैं कि पलक झपकने से पहले ही हो जाएगा. 5G की दुनिया में डिवाइस आपस में बातचीत करेंगी और एक बेहद स्मार्ट नेटवर्क तैयार हो जाएगा. या इसे ऐसे कहें कि आपकी सोच से भी ज्यादा स्मार्ट होगा. एक्सपर्स्ट की मानें तो 5G अपने साथ सिर्फ स्पीड ही नहीं लेकर आएगा बल्कि तकनीक की दुनिया का आपका पूरा एक्सपीरिएंस ही बदल देगा.
अपने स्मार्टफोन में आपने अक्सर 4G या 4G LTE लिखा देखा होगा. इस G का मतलब होता है जनरेशन. यह जनरेशन नेटवर्क की जनरेशन है. साल 1980 में सबसे पहले 1G नेटवर्क आया था. इसपर सिर्फ कॉल करने की सुविधा थी, इसके डिवाइस बेहद धीमे और भारी होते थे.
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इसके बाद साल 1990 में आया 2G नेटवर्क, इसमें कॉल के साथ साथ मैसेज की सुविधा भी मिलने लगी. इसके साथ ही इसमें GPRS की सुविधा मिली, यानी फोन पर बेहद धीमा इंटरनेट जिसका इस्तेमाल खासकर ईमेल और छोटी मोटी फाइल ट्रांसफर करने में किया जाने लगा.
साल 2003 में एक क्रांतिकारी बदलाव आया जब 3G नेटवर्क लॉन्च हुआ. 3G ने इंटरनेट के इस्तेमाल का पूरा एक्सपीरियंस ही बदल दिया. फोन पर इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद तेज हो गईं. यहां तक ही फोन से किसी को फिल्म को डाउनलोड करके देखना संभव हो पाया.
इसके बाद इंटरनेट नेटवर्क ने साल 2009 में एक कदम और आगे बढ़ाया, जब 4G नेटवर्क आया. इस 4G नेटवर्क में 100 mbps की स्पीड मिली. यहां से एक मोबाइल के एक्सपीरिएंस से भी उड़ान भरी और वीडियो कॉलिंग का विकल्प हमारे सामने आया. 4G ने स्मार्टफोन को एक तरीके के छोटे कंप्यूटर में बदल दिया.
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अब बात करते हैं 4G की अगली पीढ़ी यानी 5G की. आप सोच रहे होंगे कि आखिर 5G कितना तेज होगा. आपको बता दें कि यह 4G की तुलना में करीब 100 गुना ज्यादा तेज होगा. एक उदाहरण से समझते हैं, 3G नेटवर्क पर एक दो घंटे की एचडी फिल्म डाउनलोड करने में 26 घंटे लगते थे. 4G ने इस समय को घटा कर पांच से सात मिनट तक कर दिया. 5G आने के बाद आप इसी फिल्म को महज 3.5 सेकेंड्स या उससे भी कम समय में डाउनलोड कर पाएंगे.
5G नेटवर्क आने के बाद स्पीड के अलावा आपके आसपास का पूरा सिस्टम बदल जाएगा. 5G आने पर लो लेटेंसी यानी किसी भी डिवाइस का रिस्पॉन्स सिस्टम बेहद तेज हो जाएगा. 4G में अभी यह समय 50 से 100 मिली सेकेंड है लेकिन 5G में यह एक मिली सेकेंड हो जाएगा. यह स्पीड पलक झपकने की रफ्तार से 300 गुना तेज है, यानी आप जो भी कमांड देंगे वो रियल टाइम में होगी.
5G नेटवर्क आने के बाद मशीनें आपस में बात करेंगी. कमांड देने पर खुद से काम करेंगी. इसे ऐसे समझें कि आप लखनऊ से दिल्ली किसी काम से गए हैं लेकिन आपको दिल्ली पहुंचने के बाद याद आया कि आपने घर का फ्रिज और इन्वर्टर बंद नहीं किया है. तो यह 5G आपके लिए आसान बना देगा. आप अपने स्मार्टफोन से एक कमांड देंगे और सैंकड़ों किलोमीटर दूर आपके घर पर सेकेंड से भी कम समय में उसका पालन होगा.
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5G नेटवर्क आने के बाद मेडिकल साइंस की दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी. दुनिया के एक कोने में बैठकर सर्जन किसी भी मरीज पर बड़ी से बड़ी सर्जरी परफॉर्म कर सकेगा. इसके लिए रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल होगा. डॉक्टर अपनी स्कीन पर देखकर ऑपरेशन कर देगा. वीआर तकनीक से आप अपनी कल्पना को सजीव कर पाएंगे.
5G नेटवर्क के इतने तेज काम करने के पीछे हैं, मिली मीटर वेब्स, यह एक तरह की रेडियों तरेंगे होती हैं. हमारे स्मार्ट फोन और अन्य स्मार्ट डिवाइस इन्हीं मिली मीटर वेब्स से जुड़े होते हैं. लेकिन अगर किसी जगह पर ज्यादा स्मार्टफोन होते हैं तो यह फ्रीक्वेंसी बंट जाती हैं और नेटवर्क धीमा हो जाता है.
अभी यह मिली मीटर वेब्स 6 गीगा हर्ट्स पर काम करती हं, लेकिन 5G आने के बाद यह बढ़कर 30 से 300 गीगा हर्ट्स पर काम करेंगी. 4G पर नेटवर्क की बात करें तो 500 वर्ग किलो मीटर में 10 लाख डिवाइज कनेक्ट हो सकते हैं. जबकि 5G पर सिर्फ एक वर्ग किलोमीटर में ही 10 लाख डिवाइस कनेक्ट किए जा सकेंगे.
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जी हां बिल्कुल, जैसा कि कहते हैं कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता, ऐसे ही 5G में कई खूबियां होने के साथ साथ कुछ कमियां भी हैं. आपको बता दें कि मिली मीटर वेब्स ज्यादा दूर तक नहीं जा सकतीं, साथ ही अगर बीच में कोई ऑब्जेक्ट आ जाए तो कनेक्टिविटी टूट जाती है.
इसके साथ ही खराब मौसम और बारिश में भी मिली मीटर वेब्स प्रभावित होती हैं. 5G की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए हमें इसके बहुत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी. इसकी कनेक्टिविटी को बनाए रखने के लिए हमें छोटे से इलाके में भी 5G के कई ट्रांसमीटर लगाने होंगे.
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