नई दिल्ली(एजेंसी): भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन COVAXIN तैयार की है. इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 संस्थानों को चुना गया है. इसमें दिल्ली और पटना के एम्स भी शामिल हैं. इस बीच एम्स के एक्सपर्ट की टीम ने प्रोटोकॉल में बदलाव करने की बात कही है. एक्सपर्ट ने प्रोटोकॉल के 11 बिंदुओं में सुधार का सुझाव दिया है. कहा गया है कि ऐसा करने से ट्रायल ज्यादा व्यावहारिक और सटीक होगा.
एम्स एक्सपर्ट का कहना है कि आईसीएमआर प्रोटोकॉल फास्ट ट्रैक परीक्षण चाहता है, लेकिन इसके लिए सैंपल टारगेट ज्यादा हो तो सटीक नतीजे आएंगे. उन्होंने कहा, ‘एम्स और बाकी संस्थानों के नजरिए में यही अंतर है कि हम रिसर्च को सटीक बनाना चाहते हैं, इसके लिए एहतियात के साथ पूर्व नियोजन पहली शर्त है.’
अभी प्रोटोकॉल के मुताबिक, पहले चरण में 18 से 55 साल के स्वस्थ लोग और दूसरे चरण में 12 से 65 साल के दरम्यान लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद 15 अगस्त तक कोविड-19 स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च करने की योजना बनाई है. इसके लिए देशभर में 12 संस्थानों का चयन किया है और उन्हें 7 जुलाई तक ट्रायल शुरू करने के लिए कहा है.
वैक्सीन परीक्षण में शामिल संस्थानों की सूची में निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) हैदराबाद, किंग जॉर्ज अस्पताल, (विशाखापट्टनम), यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (रोहतक), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली और एम्स पटना शामिल हैं.