देहरादून. उत्तराखंड में इस मानसून सीजन में जोरदार बारिश हुई. भारी बारिश के कारण पहाड़ों पर रहने वाले लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ. वहीं, जगह-जगह हुए भूस्खलन ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी. राज्य के तमाम आला अधिकारी बारिश से हुई तबाही का जायजा ले रहे हैं.
रुद्रप्रयाग की जिला अधिकारी वंदना सिंह ने भी केदारघाटी में आपदा से हुए भारी नुकसान का जायजा लिया. वंदना सिंह ने विभागीय अधिकारियों के साथ इलाके का निरीक्षण किया और प्रभावितों को तत्काल मुआवजा देने के निर्देश दिये. जिलाधिकारी ने आपदा से सबसे अधिक प्रभावित गांव उषाड़ा का भी निरीक्षण किया. बतादें कि इस गांव में आपदा से 80 परिवार प्रभावित हुए हैं.
दैवीय आपदा से केदारघाटी में भारी नुकसान हुआ है. लिहाजा, जिलाधिकारी ने सरकारी व निजी परिसंपत्तियों का निरीक्षण किया. केदारघाटी के ग्राम उषाड़ा, फाटा, मैखंडा, करोखी, बयुगगाड़ में निरीक्षण के साथ ही जिलाधिकारी ने लोगों की समस्याएं सुनी. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 109 में तिलवाड़ा से फाटा तक गतिमान कार्यों का निरीक्षण किया.
राष्ट्रीय राजमार्ग के कार्यों के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता स्पष्ट निर्देश दिए कि गीड़ भुतीर, तिलवाड़ा, सिल्ली, मैखंडा, जामू सहित अन्य स्थलों पर एनएच के कार्यों से क्षतिग्रस्त लोगों के आम पैदल रास्तों को 15 दिन में भीतर ठीक किया जाए.
उन्होंने कहा कि गांव के आम रास्ते गांववासियों की लाइफलाइन है. इन रास्तों से गांव के बुजुर्ग व्यक्ति, बच्चे कई बार आते-जाते हैं. किसी भी दशा में गांव का संपर्क मार्ग बाधित नही होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि पैदल रास्तों के स्लोप को सामान्य बनाया जाएं, जिससे लोग व जानवर दोनों भी आ जा सके.
उधर, आपदा प्रभावित गांव में पूर्ण क्षति का मुआवजा मिलने के बावजूद कई परिवार अभी भी क्षतिग्रस्त भवनों, गाड़-गधेरे के आस-पास रह रहे हैं. इसको लेकर वंदना सिंह ने तीनों उप जिला अधिकारी को निर्देशित किया कि ऐसे परिवारों को एक हफ्ते के भीतर सर्वे कर नोटिस दिया जाए.