बॉलीवुड के दो सितारों के अस्त होने पर, छालीवुड सदमे में : सतीश जैन
रायपुर (अविरल समाचार). समांतर सिनेमा को दर्शकों के लिए उत्सुकता का विषय बनाने वाले,अभिनय का जादू क्या होता है ये बताने वाले, जादुई अभिनेता, करिश्माई इरफ़ान खान का असमय चले जाना हिंदी सिनेमा की अपूरणीय क्षति है. 24 घंटे के अंतराल में कपूर यूनिवर्सिटी की खान से निकले बेहतरीन अदाकारी से युवाओं के दिलों की धड़कन बनने वाले अभिनय की दूसरी पारी में हिंदी सिनेमा में हर दर्शकों के दिल में जगह बनाने वाले ऋषि कपूर ने भी हिन्दुतान का दिल तोड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया. दोनों कलाकार कैंसर से पीड़ित रहे लेकिन आखिरी दम तक पॉज़िटिव सोच का दायरा बनाये रखा, इस अपूरणीय क्षति की भरपाई कैसे हो पायेगी ये तो ईश्वर जानता है ! इस दुःख की घडी में छत्तीसगढ़ी सिनेमा भी अछूता नहीं रहा यहाँ के निर्माता, स्टार, निर्देशकों ने भी अपनी संवेदनाएं इन सितारों के लिए रखीं.
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समय के पहले इन दोनों सितारों का जाना सिनेमा जगत के लिए बहुत बड़ा झटका है. ऋषि कपूर बेहतरीन कलाकार होने के साथ समय के पाबंद भी थे, उनका व्यक्तित्व करिश्माई था ,वहीँ इरफ़ान खान के रूप में एक शश्क्त अभिनेता हमको मिला था, इन दोनों के असमय निधन से हम लोग सदमे में हैं ,ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ,उनके परिवार को धीरज दे.
सतीश जैन, निर्देशक
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बहुत दुःख की घडी है ,दोनों महान कलाकार थे ,हिंदी सिनेमा में इनका जाना एक शून्य पैदा कर देने वाला है , ईश्वर इनके परिवार को सम्बल प्रदान करें.
लखी सुंदरानी, निर्माता
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अभी लगातार 2 दिनों में हमने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दो बड़े कलाकार खोए पहला तो बहुत बड़ा एक्टर था और दूसरा बहुत बड़ा स्टार पहले बात करते हैं इरफान खान की इरफान खान साहब को मैं बहुत बचपन से देखते आ रहा हूं जब वह चंद्रकांता सीरियल में एक बहुत ही अच्छी किरदार में आते थे उसके बाद उन्होंने बहुत सारी सीरियल की और जो सीरियल करते थे तो उनकी बड़ी-बड़ी बोलती आंखें जब देखते तो ऐसा लगता था कि इनका कैनवास छोटा हो रहा है यानी कि यह बड़े पर्दे के लिए बने हैं और यह मेरा पर्सनल ओपिनियन है. इसके तुरंत दूसरे दिन हमारे बीच से 1 स्टार चले गए जिनका नाम था ऋषि कपूर यह दोनों अब हमारे बीच नहीं हैं मैं प्रकाश अवस्थी छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकार आप दोनों को हमारी पूरी इंडस्ट्री की तरफ से हार्दिक श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
प्रकाश अवस्थी, निर्देशक, कलाकार
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किसी ने क्या खूब कहा है, कि… जो ब्रम्हा ने लिख दिया छठी रात के अंक राई घटे न तिल बढे रहो रे जीव निशंक ये अटल सत्य है, की किसी के जाने से दुनिया में किसी का कोई काम नही रुकता, लेकिन ये भी अटल सत्य है कि, ऋषी कपूर और इरफ़ान जैसे अनमोल धरोहर का जाना बॉलिवुड के लिए किसी सदमे से कम नहीं…इनकी कमी दशकों तक दर्शकों को खलेगी, ऐसे महान कलाकार सदियों में एकाध बार पैदा होते हैं.
मनमोहन सिंह ठाकुर, अभिनेता
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बॉलीवुड, कलाकार जगत के लिये इरफान खान, ऋषि कपूर का इस दुनिया से चले जाना अपूर्णनीय क्षति है, ऋषि कपूर कलाकार परिवार से आते थे, उन्हें अभिनय और शौहरत विरासत में प्राप्त थी। स्टार पुत्र-प्रपौत्र ऋषि को बड़ा ब्रेक उनके पिता राजकपूर ने फिल्म बाॅबी के माध्यम से दिया था, किन्तु कठिन परिश्रम करके उन्होनें अपने नृत्य, अभिनय और चाॅकलेटी चेहेरे के कारण अपना एक अलग मुकाम बनाया, वे राजसीय परिवार के बहुत हसमुख इंसान थे, फिल्मों में उन्होनें भाव-भंगीमा दिखाई वे बेजोड़ है। वो संगीत नहीं जानते थे, लेकिन उनके नृत्य, गीतों को देखकर ऐसा लगता है, की वो वाद्ययंत्र स्वयं बजा रहे हो, उसका प्रमुख उदाहरण है फिल्म सरगम और कर्ज। ढ़लती उम्र के साथ ही वो चरित्र अभिनेता बन गये, इस विधा में भी वो अमिट छाप छोड़ गये।
इरफान खान ने सामान्य कद-काठी, सामान्य चेहेरा लिये बॉलीवुड में पर्दापण किया था। वो सबसे ज्यादा अभिनय आंखों के माध्यम से किया करते थे। फिल्मों में जो पात्र उन्हें दिया जाता था, उसे वो गहराई के साथ निर्वहन करते थे, चाहे उनकी पहली फिल्म हासिल हो, बिल्लू बार्बर या पान सिंग तोमर हो, इन फिल्मों में इरफान ने अभिनय किया वह बेजोड़ है, इन दोनों कलाकारों का सिर्फ एक दिन के अतंराल में इस दुनिया से चले जाना अत्यंत दुःखद है।
क्षमानिधि मिश्रा, फिल्म निर्माता, निर्देषक, अभिनेता, गायक
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इस दुनिया ने दो ऐसे बेहतरीन कलाकारों को खो दिया है जिन्होंने अपने वर्सेटाइल अभिनय और अंदाज से दुनिया पर राज किया ।एक ऋषि कपूर जी और दूसरे इरफान खान जी.
ऋषि कपूर जी जिन्होंने श्री 420 के प्यार हुवा इकरार हुवा गाने, मेरा नाम जोकर फ़िल्म से बाल कलाकार के रूप में मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और हीरो के रूप में पहली फ़िल्म बॉबी में बेस्ट हीरो का फ़िल्म फेयर अवार्ड अपने नाम कर लिया । वैसे ही दूसरे महान कलाकार इरफान खान जिन्होंने चंद्रकांता सीरियल में ही अपने सशक्त अभिनय से बता दिया था की वो अभिनय की दुनिया मे समय व्यतीत करने नही बल्कि अपने अभिनय से राज करने आये हैं।
कला फिल्मो को बॉक्स ऑफिस पर चमत्कारिक रूप से सफलता दिलाने का श्रेय इरफान खान जी को जाता है। पान सिंह तोमर, सात खून माफ, हिंदी मिडियम, चॉकलेट, लंच बॉक्स, लाइफ ऑफ पाई, अंग्रेजी मिडियम जैसी फिल्मों से उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक अलग ऊंचाई दी । इन दोनों महान अभिनेताओं की कमी कभी पूरी नही हो सकती ।
ऋषि कपूर जी और इरफान खान जी को सादर नमन
अनुमोद राजवैद्य, निर्माता और निर्देशक, अध्यक्ष अलाप आर्टिस्ट एसोसिएशन, उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ सिनेमा ,टीव्ही प्रोड्यूसर एसोसिएशन.
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जब रिक्तता आती है उसका पुनःनिर्माण नए सिरे से होता है, दिल में दर्शकों के जगह बनाये रखने वाले अभिनेता इरफ़ान खान, ऋषि कपूर की कमी न भरने वाली कमी है !
अनुपम वर्मा, कवि, साहित्यकार, निर्माता, निर्देशक
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ईरफान, ऋषि बेजोड़ कलाकार :- बात उन दिनों की है, जब मैं १० वीं में पढ़ता था, उसी समय हमारे घर रामायण सीरियल के कारण एक ब्लेक एंड व्हाईट पोर्टेबल टी वी आई थी, उसी समय के आसपास दूरदर्शन पर श्याम बेनेगल निर्देशित भारत एक खोज सीरियल भी आती थी, जो मेरा पसंदीदा सीरियल था, उसमें छोटी छोटी भूमिकाओं में बड़ी बड़ी आंखों वाला एक शख्स आता था, जिसका अभिनय मुझे बेहद पसंद था, पर उसका नाम पता नही था, वह बड़ी बड़ी आंखों वाला कलाकार काेई और नहीं ईरफान खान था, उनका अचानक यूं ही दुनिया से चले जाना बहुत पीड़ादायक है. ईरफान खान जी के चले जाने की पीड़ा कम भी न हुई थी, 24 घंटे के भीतर बॉलीवुड रोमांटिक फिल्मों के बादशाह, ऋषि कपूर जी के रूख़सत की दुखद खबर आ गई, बचपन मे मैने फिल्म मेरा नाम जोकर देखी थी, जिसमें रिषी कपूर जी ने अपने पिता अभिनय सम्राट राजकपूर के बचपन का लाजवाब नेचुरल राेल अदा किया था, और अपनी पहली ही फिल्म में दर्शकाें काे बता दिया था, कि बहुत जल्द बॉलीवुड अभिनय की दुनिया में एक और सितारा उभरकर आने वाला है, और जो आगे चलकर ३५ सुपरहिट रोमांटिक फिल्मों के नायक रोमांस के बादशाह ऋषि कपूर कहलाये । दो दिनों में दो दिग्गज शख्सियतों का चले जाना, भारतीय सिनेमा के लिये बहुत बड़ी क्षति हैं जिसकी भरपाई होना असम्भव है, ईश्वर अल्लाह इन दोनों कलाकारों को अपने लाेक में उचित स्थान देकर, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. ओम शान्ति
उत्तम तिवारी, निर्देशक
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ऋषि कपूर जी एवं इरफान खान जी का एकाएक हमारे बीच से जाना किसी सदमे से कम नहीं. दोनों की अभिनय की अपनी अलग बेमिसाल दुनिया थी. चाहने वालों की भी कमी नहीं. कोरोना के इस आपातकालीन घड़ी में इस तरह प्रशंसकों की आंखों में आंसु आना दोहरे दुख की तरह है.
प्रणव झा, लेखक, निर्देशक
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