विवेकानंद नगर के ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में प्रवचन
रायपुर (अविरल समाचार)। जीने के लिए आवश्यकताएं सीमित होती हैं, फिर भी लोग परेशान हैं क्योंकि वे आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि उनकी इच्छाएं पूरी हों। ऐसा होना संभव ही नहीं क्योंकि इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता। विवेकानंद नगर स्थित श्री ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में साध्वी चंदनबालाजी ने उपरोक्त विचार रखे।
उन्होंने संकल्प के बारे में बताते हुए कहा कि एक व्यक्ति बीमार होने के बाद अच्छे अस्पताल में गया। अच्छे लैब में चेकअप करवाया। अच्छे मेडिकल से दवाइयां खरीदी। फिर भी उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई क्योंकि उसने दवा खाई ही नहीं। वैसे ही आप जिंदगी में अच्छा-अच्छा ही सोचतें हैं, लेकिन जब तक उसे पूरा करने दृढ़ संकल्प नहीं लेंगे, सब व्यर्थ है। आप कहेंगे तत्वार्थ सूत्र अच्छा है, लेकिन तत्वार्थ सूत्र को व्यवहार में उतारते हैं तब कोई मतलब है। इसीलिए नियम, व्रत और संकल्प का पालन करें। माना आप उपवास पर हैं। घर में कितने अच्छे पकवान क्यों न बने। आप मन मार कर रह जाएंगे, लेकिन खाने को हाथ नहीं लगाएंगे। ऐसा क्यों, क्योंकि हमारे अंदर व्रत को पूरा करने की संकल्प शक्ति होती है। इसी संकल्प शक्ति के साथ अपने कर्मों की गति भी सुधारनी है। दरअसल, समस्या यहां पर आती है कि हमने नियम और मर्यादा को सही तरीके से समझा ही नहीं है। हम जीवन, करियर में सफलता के लिए दुनिया के तमाम नियमों का तो पालन करते हैं, लेकिन आत्मा की सफलता के लिए धर्म-कर्म का पालन नहीं करते। दुनिया में आज भारी अराजकता फैली है तो इसकी सबसे बड़ी वजह यही है। उन्होंने कहा कि नियमित दिनचर्या से नई शुरूआत करें। बाजार से जब भी गुजरते होंगे, कपड़ों की दुकानों को देखकर मन करता होगा कि ये भी खरीद लूं और वो भी। संकल्प लें कि साल में 10-20 कपड़े ही लूंगा या लूंगी और इसका पालन करें। इससे फिजूलखर्ची भी रूकेगी और आप संयमित जीवन जीने की ओर आगे भी बढ़ेंगे।
तंत्र-मंत्रवादी ज्योतिषियों के चक्कर में न फंसें
साध्वी जी ने कहा कि जन्मपत्री तो कोई भी बता सकता है, लेकिन कर्मपत्री कोई नहीं बता सकता। आप कैसे कर्म करेंगे और उन कर्मों के क्या परिणाम होंगे, ये तो बस नियति ही जानती है। इसीलिए तंत्र-मंत्रवादी ज्योतिषियों के चक्कर में न फंसें। भगवान महावीर की शरण में जाएं और अपने कर्मों की गति सुधारें। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार एक परेशान व्यक्ति ज्योतिष के पास गया। ज्योतिष को बताया कि काम-धंधा ठीक नहीं चल रहा। सुख-शांति छीन गई है। ज्योतिष ने कहा कि तुम्हें किसी की नजर लगी है। समस्या का समाधान बताते हुए ज्योतिष बोला कि अपनी दुकान में 7 नींबू लटका देना। तब पीड़ित व्यक्ति ने कहा कि नींबू तो वह लटका देगा, लेकिन उसकी पूरी दुकान ही नींबू की है। साध्वीजी ने कहा कि ज्योतिष विद्या में आजकल इसी तरह लोगों को बेवजह डराने-धमकाने वाले बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कह रही ज्योतिष विद्या खराब है, लेकिन इस विषय में पारंगत लोगों की जरूरत है।
पुण्य को छपाने, पाप को छिपाने का प्रयास करते हैं लोग
साध्वी जी ने कहा कि जैन दर्शन में कर्मों के बंधन को लेकर कोई छूट नहीं है। जैसे नाव में छोटा सा भी छेद हुआ तो तय है वह समुद्र में डूबेगी। इसी तरह अगर आप कर्मों का बंधन करते हैं तो तय है कि आपको उसका हिसाब भी चुकाना होगा। आजकल लोग पुण्य के छपाने और पाप को छिपाने का प्रयास करते हैं। जो काला-पीला करना है, आप तभी तक कर सकते हैं जब तक आपके पापों का उदय नहीं हुआ है। जिस दिन मृत्यु होगी, उस दिन सारा हिसाब-किताब एकसाथ होगा। मन, वचन और काया, कर्म बंधन के तीन सेतु हैं। इस पर नियंत्रण पा लिया तो समझो जीवन सफल है।
विवेक भंसाली और प्रकाशचंद का किया बहुमान
चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार प्रमुख चंद्रप्रकाश ललवानी ने बताया कि शुक्रवार को बिलाड़ा स्थित दादा गुरूदेव धाम से विवेक भंसाली प्रवचन सभा में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि सकल जैन की मदद से दादाबाड़ी का नवनिर्माण किया जाना है। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से अपील करते हुए कहा कि धर्म के इस काम में सहयोग के लिए धर्मावलंबी बढ़-चढकर आगे आएं। उनके अलावा रांची से साध्वीजी के शिष्य प्रकाशचंद पारख भी प्रवचन सभा में शामिल हुए। श्रीसंघ ने दोनों अतिथियों का बहुमान किया। आज पद्मावती देवी की आराधना की गई। उसके बाद हुए एकासना के लाभार्थी मंगलचंद जयचंद लुणावत परिवार थे।