नई दिल्ली (एजेंसी)। एएमयू के पूर्व कुलपति ले. जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरउद्दीन शाह हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर हैं। एएमयू में अपने कार्यकाल के दौरान उनके कुछ कार्यों एवं फैसलों पर कट्टरपंथी काफी नाराज हुए थे। लखनऊ में आयोजित इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले आयोजित मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक में ले. जनरल सेवानिवृत्त जमीरउद्दीन शाह ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए वक्फ बोर्ड की 2.77 एकड़ जमीन हिंदुओं को उपहार में देने की बात कहकर एक बार फिर चर्चा में हैं।
एएमयू में भी इसकी खूब चर्चा है। हालांकि अभी कोई खुलकर बोल नहीं रहा है। एएमयू कुलपति रहते हुए वह कई बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार व दूसरे नेताओं से मिले थे।
ईद के अवसर पर आरएसएस द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह में शामिल होते थे। एएमयू छात्रों तथा भाजपा एवं अन्य संगठनों से विवाद के दौरान उन्होंने एक बार वीसी लॉज में आरएसएस से जुड़े लोगों को बातचीत के लिए बुलाया था।
यही नहीं अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय एवं अशोक पांडेय से यूनिवर्सिटी के बाहर मिले थे, जिसको लेकर काफी हो-हंगामा हुआ था।
वह कहा करते थे कि सर सैयद हिंदू-मुस्लिम को सुंदर दुल्हन की दो आंखों की तरह मानते थे। वह बार-बार कहते थे कि एक अच्छा जनरल वह होता है जो बिना जंग किए जीतता है।