नई दिल्ली (एजेंसी)। अगर आप भी सस्ते के चक्कर में चोरी किया हुआ मोबाइल खरीदते हैं या फिर इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइए। सरकार जल्द ही इस पर लगाम लगाने की तैयारी में है और ऐसी तकनीक ला रही है जिससे आप चोरी के मोबाइल में किसी भी नेटवर्क का सिम इस्तमाल नहीं कर पाएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि चोरी किए हुए मोबाइल में कॉलिंग की सुविधा ही नहीं होगी जिससे वो बेकार हो जाएगा।
फोन चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हए टेलीकॉम विभाग जल्द ही इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आईएमईआई) नंबर का डाटाबेस तैयार करने जा रहा है। इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर यानी ईआईआर तैयार करने की योजना बन चुकी है। इसमें देश में इस्तेमाल होने वाले सभी मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर दर्ज होंगे। इस डाटा बेस की मदद से 15 अंक वाले आईएमईआई नंबर के जरिए किसी भी मोबाइल को ब्लॉक किया जा सकता है जिसके बाद उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
हालांकि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए फोन चोरी होने या फिर खोने के बाद पीड़ित व्यक्ति को एफआईआर दर्ज कराना जरूरी होगा और दूरसंचार विभाग की हेल्पलाइन नंबर पर इसकी जानकारी देनी होगी। इसके बाद विभाग इस पर कार्रवाई करते हुए आईएमईआई नंबर के जरिए फोन को ब्लॉक कर देगा। ब्लैकलिस्ट होने के बाद उस फोन में किसी भी कंपनी का सिम काम नहीं करेगा।
बता दें कि जुलाई 2017 में टेलीकॉम विभाग ने महाराष्ट्र के पुणे में इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। प्रोजेक्ट के लिए बीएसएनएल को चुना गया जो सफल रहा था। साल 2019-20 के अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने इसके लिए 15 करोड़ रुपये का शुरुआती बजट भी आवंटित कर दिया था।
चोरी के मोबाइल के इस्तेमाल को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, मिस्त्र और तुर्की जैसे देशों में यह सुविधा पहले से मौजूद है। इसका दूसरा मकसद फर्जी आईएमईआई नंबरों वाले डिवाइसेज को बंद करना और बाकी डिवाइसेज को नियमित तौर पर चलाना भी है। खासबात यह है कि कई संदिग्ध मामलों में पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां आईएमईआई नंबर की मदद से ही चोरी हुए मोबाइल का पता लगाती है।