कोलकाता (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल की एक रैली में कहा था कि टीएमसी के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं और अब ममता दीदी का खेल खत्म हो गया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में मिली सफलता के बाद कुछ ऐसी ही उम्मीद की जा रही थी, जो मंगलवार को भाजपा कार्यालय में देखने को मिला।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को मंगलवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के दो विधायकों और 50 पार्षदों ने दिल्ली आकर भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। ऐसे में ममता बनर्जी ने अपने कैबिनेट में फेरबदल कर लिया है। इसका मकसद समय रहते पार्टी की क्षीण हो रही ताकत फिर से जुटाया जा सके। हालांकि, ममता बनर्जी ने कैबिनेट के इस फेरबदल को लोकसभा चुनाव के बाद साधारण बदलाव करार दिया है, लेकिन सच्चाई अब किसी से छिपी नहीं है।
भाजपा को दावा है कि अभी कुछ और विधायक टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए अगामी विधानसभा चुनाव में बंगाल का किला बचाना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
भाजपा राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा का कहना है कि मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल में छह महीने से एक साल के भीतर विधानसभा चुनाव होंगे। वर्तमान सरकार 2021 तक चल नहीं पाएगी। टीएमसी में बहुत असंतोष है। तृणमूल सरकार पुलिस और सीआइडी के दबाव में चल रही है।
बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कैबिनेट में फेरबदल लोकसभा चुनाव के परिणाम को ध्यान में रखते हुए किया। लोकसभा चुनावों में टीएमसी को उत्तरी बंगाल और जंगलमहल इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में ममता बनर्जी ने इस क्षेत्र से आने वाले दो मंत्रियों बिनोय कृष्णा बर्मन और शांतिराम महतो से उनके मंत्रालय छीन लिए हैं। अब इन नेताओं की जगह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जैसे सुब्रता मुखर्जी, शुभेंदु अधिकारी, राजीव बनर्जी और ब्रात्या बसु को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है। ऐसे में पार्टी में बगावती आवाज ओर सुनाई दे, तो कोई हैरानी नहीं होगी।