भोपाल (एजेंसी)। मध्यप्रदेश की विधानसभा में हाल ही में वेतन विसंगतियों को लेकर गड़बड़ी पकड़ी गई। जिसमें विधानसभा के अफसर-कर्मचारियों के पात्रता से ज्यादा वेतन लेने की बात सामने आई। यह खेल नसबंदी के नाम पर दो बार वेतन वृद्धि लेकर किया गया। दरअसल, नियमानुसार नसबंदी कराने पर एक वेतन वृद्धि मिलती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा में नौकरी में ज्यादा वेतन लेने, एक नसबंदी पर दो वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) का लाभ लेने और बीमारी के इलाज के मनमाने बिल लगाने में अफसर-कर्मचारी फंसे हैं।
अब विधानसभा ने सख्त कदम उठाते हुए ऐसे 35 से ज्यादा अफसर-कर्मचारियों को कुल 40 लाख रुपए तक की रिकवरी के नोटिस थमा दिए हैं। इसमें अपर सचिव, उपसचिव से लेकर सचिव स्तर के प्रमुख अफसर शामिल बताए गए हैं।
विधानसभा से वेतन निर्धारण के लिए सभी अफसरों-कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) कोषागार (ट्रेजरी) के संयुक्त निदेशक के पास अनुमोदन के लिए भेजी गई थीं। इसी दौरान 35 से ज्यादा अफसर-कर्मचारियों के वेतन में विसंगति सामने आई।
नियमत: वेतन की इस विसंगति को दूर नहीं करने पर सेवानिवृत्त होने पर अफसरों को पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में इन वेतन विसंगति वाले अफसरों-कर्मचारियों के वेतन से अतिरिक्त गए पैसे की वसूली निकाली गई है।
विधानसभा में सचिव पद के अफसर और कुछ कर्मचारियों को गलत तरीके से वेतन वृद्धि का लाभ मिला। इन्होंने नसबंदी (टीटीओ) कराने के प्रमाणपत्र लगाए थे। शासन के नियमानुसार नसंबदी कराने पर एक वेतन वृद्धि का लाभ मिलता है, लेकिन कुछ को एक बार नसबंदी कराने के बदले दो बार लाभ मिल गया।
विधानसभा में सचिव स्तर के एक अफसर के मेडिकल बिल भी शंका के घेरे में हैं। इन्होंने अपने और अपनी पत्नी के नाम हर महीने हजारों के मेडिकल बिल लगाए। वेतन और पात्रता से ज्यादा बिल लग गए, जिसके बाद उनसे भी वसूली की जा रही है।