तीसरी बार तीन तलाक बिल पेश, रविशंकर बोले – नारी न्याय का सवाल है, विपक्ष विरोध में

नई दिल्ली (एजेंसी)। लोकसभा और राज्यसभा में दिमागी बुखार का मुद्दा शुक्रवार को गूंजा। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति ने श्रीलंका की चर्च में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि दी। इस पर विपक्ष के सांसदों ने बिहार में चमकी बुखार से मारे गए बच्चों के प्रति भी श्रद्धांजलि देने की मांग की। इसके बाद पूरे सदन में चमकी बिहार से जान गंवाने वाले बच्चों से मौन रखकर सदन के भीतर श्रद्धांजलि दी।

लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार से विधिवत रूप से शुरू हो गई। नवनिर्वाचित सांसदों के शपथ और राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद शुक्रवार से दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई।

लोकसभा में तीसरी बार तीन तलाक विधेयक सदन के पटल पर रखा गया है। जिसपर की हंगामा जारी है। इस विधेयक को कानून एवं विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। कांग्रेस ने बिल के ड्राफ्ट का विरोध किया है। इस विधेयक में तीन बदलाव किए गए हैं।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए। मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं।

कानून मंत्री ने विधेयक को लोकसभा में पेश करने की मांग की है। वहीं तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि बिल में कहीं बातें संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने इसका विरोध किया है।

लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर बोलते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा- संसद को अदालत न बनाएं। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रिया के तहत बिल लाया गया। एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध किया है।

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