रांची (एजेंसी)। झारखंड में जेडीयू अपने चुनाव चिन्ह तीर के साथ विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएगी। चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगा दी है। अब जेडीयू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के तीर-धनुष के चुनाव चिह्न को भी आदिवासी संस्कृति से जुड़े होने की ओर ध्यान दिलाते हुए उसे जब्त कराने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने और हाई कोर्ट के शरण में जाने की बात कही।
झारखंड प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और महासचिव श्रवण कुमार ने यहां कहा, “चुनाव आयोग हमारी पार्टी को राज्य में जो भी चुनाव चिह्न देगा वह हमें स्वीकार्य होगा लेकिन साथ ही राज्य में हम झारखंड मुक्ति मोर्चा के तीर-धनुष चुनाव चिह्न को भी जब्त किये जाने की मांग करेंगे क्योंकि यह आदिवासी संस्कृति से जुड़ा हुआ है।” कुमार ने कहा, “जेडीयू इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने की योजना बना रहा है जहां वह जेएमएम के चुनाव चिह्न को जब्त किये जाने की मांग करेगा।”
श्रवण कुमार ने आरोप लगाया कि बिहार में जेएमएम का चुनाव चिह्न जब्त कराये जाने की जेडीयू की कार्रवाई के चलते ही बदला स्वरूप झामुमो ने चुनाव आयोग के माध्यम से जेडीयू के खिलाफ यह कार्रवाई झारखंड में की है। श्रवण कुमार ने कहा कि जेडीयू ने अरुणाचल में चुनाव लड़कर वहां भी आठ सीटें जीतीं और नागालैंड में उसका एक मंत्री है।
यह पूछे जाने पर कि क्या झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी से जेडीयू का कोई गठबंधन होगा, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है क्योंकि उनका बीजेपी से सिर्फ बिहार में गठबंधन है। अन्य राज्यों में वह अलग चुनाव लड़ती है।
चुनाव आयोग ने अपने एक ताजा फैसले में जेडीयू पर महाराष्ट्र और झारखंड में अपना तीर चुनाव चिह्न उपयोग करने पर रोक लगा दी है क्योंकि दोनों राज्यों में उसके चुनाव चिह्न क्रमशः शिवसेना और जेएमएम के चुनाव चिह्नों से मिलते जुलते हैं। पहले चुनाव आयोग ने जेडीयू को इन राज्यों में भी अपना चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी थी।