नई दिल्ली(एजेंसी): पीपीएफ अकाउंट का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है और कोई भी निवेशक उसमें हर वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकता है. इस पर टैक्स कटौती का भी लाभ मिलता है. मैच्योरिटी पीपीएफ अकाउंट से पैसा निकालने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. सवाल यह है कि पीपीएफ अकाउंट के मैच्योर होने की स्थिति में क्या करें. आपके पास तीन विकल्प होते हैं. आप अकाउंट बंद करा सकते हैं. इसे पांच साल के लिए बढ़ा सकते हैं या बगैर नए कंट्रीब्यूशन के इस अकाउंट को जारी रख सकते हैं.
अकाउंट बंद कराने की स्थिति में बैंक या पोस्ट ऑफिस (जहां आपका पीपीएफ अकाउंट है) को सिर्फ एक एप्लीकेशन देना होता है और आपका पीपीएफ में जमा अमाउंट सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है. पैसा ट्रांसफर कराने के लिए एक निर्धारित फॉर्म जमा कराना होता है, जिसमें पीपीएफ और सेविंग अकाउंट की डिटेल भरनी होती है. पासबुक और कैंसल चेक देना होता है. अगर टैक्स छूट का फायदा लेना है तो आप अकाउंट को और पांच साल तक जारी रख सकते हैं. इसके लिए भी एप्लीकेशन के साथ एक निर्धारित फॉर्म भरना होता है. लेकिन यह मैच्योरिटी के एक साल के भीतर देना होता है.
मैच्योरिटी के बाद भी बगैर कोई योगदान के आप पीपीएफ अकाउंट जारी रख सकते हैं. फंड निकालने का ऑप्शन आपके पास मौजूद रहेगा. हालांकि जमा रकम पर टैक्स फ्री इंटरेस्ट मिलता रहेगा. इसके लिए कोई आवेदन नहीं देना होता है. यह याद रखना जरूरी है कि पीपीएफ की मैच्योरिटी अवधि 15 साल की होती है लेकिन गणना उस साल के आखिर से होती है, जिस साल वह अकाउंट खुलवाया जाता है. इसलिए मैच्योरिटी डेट हमेशा अप्रैल महीने में ही होती है.