मुंबईः सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) ने कहा कि कोविड-19 संकट के चलते देश में बेरोजगारी की दर तीन मई को सप्ताह के दौरान बढ़कर 27.11 फीसदी हो गई. मार्च मध्य में इस महामारी के तेजी पकड़ने के समय यह दर सात फीसदी से कम थी.
मुंबई स्थित थिंक टैंक ने कहा कि बेरोजगारी की दर शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 29.22 फीसदी रही, जहां कोविड-19 संक्रमण के सबसे आधिक प्रभावित इलाकों ‘रेड जोन’ की संख्या सबसे ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 26.69 फीसदी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू करते समय ही विश्लेषकों ने बेरोजगारी की चेतावनी दी थी. लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आ गया, और दिल्ली और मुंबई जैसे शहरी केंद्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पलायन से विश्लेषकों की आशंकाएं सही साबित हुईं.
सरकार ने अब तक इस संकट से निपटने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय प्रोत्साहन की घोषणा की है, जिसका बड़ा हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को आय और भोजन सहायता मुहैया कराने के लिए है.
सीएमआईई की साप्ताहिक श्रृंखला के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से बेरोजगारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और यह 29 मार्च को खत्म हफ्ते के दौरान 23.81 फीसदी थी. सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में मासिक बेरोजगारी की दर 23.52 फीसदी थी.
आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के अंत में दक्षिण भारत में पुदुचेरी में सबसे ज्यादा 75.8 फीसदी बेरोजगारी थी. इसके बाद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में 49.8 फीसदी, झारखंड में 47.1 फीसदी और बिहार में 46.6 फीसदी बेरोजगारी थी.
सीएमआईई के मुताबिक महाराष्ट्र में बेरोजगारी दर 20.9 फीसदी थी, जबकि हरियाणा में 43.2 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 21.5 फीसदी और कर्नाटक में 29.8 फीसदी थी. सीएमआईई के मुताबिक पहाड़ी राज्यों में बेरोजगारी की दर काफी कम रही है. हिमाचल प्रदेश में यह दर 2.2 फीसदी, सिक्किम में 2.3 फीसदी और उत्तराखंड में 6.5 फीसदी रही.