नई दिल्ली (एजेंसी)। राज्यसभा में मंगलवार को तीन तलाक बिल पास हो गया। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। इस बिल पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय दिया गया था। वहीं भाजपा ने इस बिल पर अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। जदयू, एआईएडीएमके और टीआरएस समेत अन्य दलों के वॉकआउट से राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार की राह आसान हो गई। इस दौरान सदन में पर्ची के द्वारा वोटिंग कराई गई। पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े।
बिल पर वोटिंग से पहले इसको सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिरा। इस बिल के पास होने के साथ ही सरकार ने साबित किया कि उच्च सदन में उसने इस बिल के लिए खासी तैयारी कर रखी थी। अब यह बिल अंतिम मुहर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह बिल कानून बन जाएगा।
भाजपा के पास राज्यसभा में 78, जबकि इसके घटक दलों यानी एनडीए को मिलाकर 117 सीटें हैं। हालांकि, जदयू के बाहर होने से यह आंकड़ा 111 हो गया। वहीं बीजेडी ने भी इस बिल पर भाजपा को समर्थन दिया। सदन में उसके पास 7 सीटें हैं। इससे जदयू के जाने से भाजपा को कोई दिक्कत नहीं हुई। इसके अलावा एआईएडीएमके के पास 11 और टीआरएस के पास 6 सीटें हैं। पीडीपी और बसपा भी इस बिल पर मतदान नहीं किया।
बिल को पेश करते वक्त कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस प्रथा को कई इस्लामिक देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद अब-तक ऐसा नहीं किया है। बिल, जो मुस्लिम समुदाय के बीच तत्काल तलाक की प्रथा को अपराधी बनाता है, लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था।
इस बिल में तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान है। यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। इसके अलावा बिल में तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। आरोपी को मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा। पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है। पीड़ित महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है।
बता दें कि यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो गया था। इस दौरान बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित अन्य पार्टियों ने वॉकआउट किया था, जिसके बाद यह बिल ध्वनिमत से पारित हुआ था।
इससे पहले यह बिल लोकसभा इससे पहले दो बार पास हो चुका था। पहली बार यह बिल 28 दिसंबर, 2017 तथा दूसरी बार 27 दिसंबर, 2018 में पास हुआ था, लेकिन राज्यसभा में दोनों बार भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी।