कर्नाटक: सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की रणनीति पर भाजपा ने बनाये 3 उप-मुख्यमंत्री

बेंगलुरु (एजेंसी)। कर्नाटक में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मंत्रियों में पोर्टफोलियो का बंटवारा हो गया है। यूपी में दो उपमुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश में 5 उपमुख्यमंत्री के बाद अब कर्नाटका में तीन उपमुख्यमंत्री रहेंगे। येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल में तीन उपमुख्यमंत्री चुने गए हैं। जिनमें एक लिंगायत एक वोककलिगा और एक दलित है। इन तीनों को चुनने से बीजेपी की एक रणनीति साफ दिखाई दे रही है कि बीजेपी अब केवल लिंगायत वोट बैंक पर निर्भर नहीं रहना चाहती साथ ही वह येदियुरप्पा पर नकेल कसने की तैयारी कर चुकी है। दरअसल पिछले दो ऐसे मौके देखे गए जहां येदुरप्पा ने हाईकमान का फैसला ना मानते हुए अपने फैसले उन पर थोप दिए थे। ऐसे में बीजेपी ने अब येदियुरप्पा को साफ संदेश दे दिया।

विधानसभा चुनाव में हारे लिंगायत नेता लक्ष्मण सावदी, जो विधानसभा मे ‘पोर्न गेट’ की वजह से सुर्खियों में आए थे, अब उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। उन्हें ट्रांसपोर्ट पोर्टफोलियो भी दिया गया है। दूसरे उप मुख्यमंत्री हैं डॉ अश्वत नारायण। डॉक्टर अश्वत नारायण वोक्कालीग्गा नेता है जिन्होंने जेडीएस-कांग्रेस की बगावत में अहम भूमिका निभाई थी। इन्हें उच्च शिक्षा और सूचना तकनीक विभाग दिया गया है। कर्नाटक में सूचना तकनीक और बायोटेक्नालॉजी का पोर्टफोलियो महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में कर्नाटक देश में लीडर की भूमिका में है। तीसरे उप मुख्यमंत्री हैं दलित है जिनका नाम है गोविंद करजोल। इन्हें समाज कल्याण और पीडब्लूडी विभाग दिए गए हैं। वहीं गृह मंत्रालय येदियुरप्पा के भरोसेमंद लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई को दिया गया है।

दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी का चेहरा देखते हुए सभी समुदाय के लोगों ने एक साथ मिलकर बीजेपी के प्रति अपना भरोसा जताया है और यही कारण है कि 28 में से 25 सीटें बीजेपी अपने पाले में करने में कामयाब रही। जबकि कर्नाटक में हमेशा ही जातिगत आधार पर पार्टियों को वोट मिलता रहा है। जैसे कि लिंगायत बीजेपी के हार्डकोर वोटर रहे हैं और वोक्कलीगा जेडीएस के हार्डकोर वोटर रहे हैं। वही दलित ओबीसी कई बार कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दिए हैं।

ऐसे में अब तीनों को मुख्यमंत्रियों को रखकर बीजेपी बाकी चेहरों को आगे करने की कोशिशों में जुटी है। हालांकि इस फैसले से चुनिंदा विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर इसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है जहां से सभी समुदाय को साथ लेकर चलती हुई दिख रही है।

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